
रोमैंटिक किरदारों में अधिक सफल हुए देव आनंद.
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भारतीय सिनेमा के सदाबहार अभिनेता माने जाते हैं देव आनंद.
अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में 26 सितंबर 1923 को जन्मे थे देव.
दिल का दौरा पड़ने की वजह से दिसंबर 2011 में हुआ था देव साहब का निधन.
भारतीय सिनेमा में 50-60 के दशक में तीन अभिनेताओं के नाम का डंका बजता था, ये थे- दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद. दिलीप ट्रैजेडी किंग के रूप में मशहूर थे, राज कपूर शो मैन के रूप में जाने जाते थे, लेकिन रोमांस और स्टाइल के मामले में जिस अभिनेता का नाम उभरा वह थे देव आनंद.
जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं देव आनंद के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.
सुरैया से की बेइंतिहां मोहब्बत
देव आनंद अभिनेत्री सुरैया से बहुत प्यार करते थे. उनकी ऑटोबायोग्राफी 'रोमांसिंग विथ लाइफ' में उन्होंने सुरैया से अपनी मोहब्बत के बारे में विस्तार से लिखा है. उस ज़माने में देव साहब ने सुरैया को तीन हजार रुपये की हीरे की अंगूठी दी थी. हालांकि दोनों के धर्म अलग होने की वजह से सुरैया की नानी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुईं और दोनों को अलग होना पड़ा. इसके बाद सुरैया ने कभी शादी नहीं की.
फिल्म के लंच ब्रेक में कर ली थी शादी
देव आनंद की शादी का किस्सा भी बेहद मशहूर है. उन्होंने साल 1954 में फिल्म की शूटिंग के दौरान लंच ब्रेक में अपनी सह कलाकार कल्पना कार्तिक से शादी कर ली थी. दोनों की शादी लंबे समय तक नहीं चल सकी. उनके दो बच्चे हुए. सुनील आनंद और देविना आनंद. देविना वही नाम था जो देव की शादी से पहले उन्होंने और सुरैया ने अपनी बेटी के लिए सोचा था.
घर का नाम था चीरू
देव आनंद का असली नाम धर्मदेव पिरोशीमल आनंद था, उनके पिता पिशोरीमल आनंद पेशे से वकील थे. देव आनंद ने लाहौर के सरकारी कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में स्नातक की डिग्री ली थी. देव आनंद के घर का नाम चीरू था.
काले सूट पहनने पर लगा था बैन
देव आनंद उस ज़माने के सबसे हैंडसम अभिनेताओं में से एक थे. उनके प्रति लोगों की दीवानगी ऐसी थी कि उन्हें काला सूट पहने देख युवतियां छत से कूद जाती है. इस वजह से सार्वजनिक जगहों पर देव आनंद के काला सूट पहनने पर बैन लगा दिया गया था. देव आनंद के घर का नाम चीरू था.
क्लर्क का भी किया काम
अभिनेता बनने से पहले देव आनंद मुंबई की एक अकाउंटेंसी फर्म में क्लर्क का काम करते थे, जहां वेतन के रूप में उन्हें केवल 85 रुपये मिलते थे. कुछ समय तक उन्होंने मिलिट्री सेंसर ऑफिस में भी काम किया.
गुरुदत्त से थी गहरी दोस्ती
देव आनंद और गुरुदत्त के बीच गहरी दोस्ती थी. जिन फिल्मों का निर्माण देव करते उनका निर्देशन गुरुदत्त करते. जिन फिल्मों को गुरुदत्त निर्देशित करते उनमें देव आनंद हीरो होते. कहा जाता है कि दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि वे आपस में शर्ट भी बदलकर पहना करते थे.
बहन के किरदार के लिए मुश्किल से मिली जीनत अमान
फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' देव आनंद की बहन का किरदार निभाने के लिए कोई अभिनेत्री तैयार नहीं थी. उस ज़माने में हर अभिनेत्री देव आनंद की हीरोइन बनने का सपना देखती थी ऐसे में उन्हें डर था कि देव की बहन का किरदार निभाने के बाद उन्हें उनके अपोज़िट रोल नहीं मिलेगा. एक पार्टी में देव ने ज़ीनत अमान को देखा और रोल ऑफर किया. ज़ीनत ने वह किरदार निभाया और रातों रात स्टार बना दिया.
देव अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका चार्म, उनकी अदाएं, उनके द्वारा कहे गए डायलॉग्स आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं.
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