लिपस्टिक अंडर माई बुर्का के निर्माता हैं प्रकाश झा.
नई दिल्ली:
फिल्मकार प्रकाश झा की अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी फिल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का को सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया है. इस बैन का काफी विरोध हो रहा है, इस बारे में बात करते हुए प्रकाश झा ने कहा कि यह फिल्म भारत के लोगों की पुरानी विचारधारा के लिए एक झटके की तरह है. सेंसर बोर्ड ने 23 फरवरी को यह कहते हुए फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया था कि यह फिल्म कुछ ज्यादा ही महिला केंद्रित है और उनकी फैंटसीज के बारे में बताती है.
लिपस्टिक अंडर माई बुर्का एक छोटे से शहर में रहने वाली चार महिलाओं की कहानी है जो अपने लिए आजादी की तलाश करने की कोशिश करती हैं. फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, विक्रांत मैसी, अहाना कुमरा, प्लाबिता बोरठाकुर और शशांक अरोड़ा ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं.
इस बारे में बात करते हुए प्रकाश झा ने आईएएनएस से कहा, "लिपस्टिक अंडर माई बुर्का एक खूबसूरत फिल्म है. यह समाज के उथले और दमनकारी नियमों को तोड़ती है, जिनके मुताबिक महिलाएं अपनी कल्पनाओं के बारे में खुलकर बात नहीं कर सकतीं. वे जिंदगी को केवल पुरुषों की मानसिकता के अनुसार देखने की आदी हैं और सीबीएफसी के पत्र से यही जाहिर होता है."
उन्होंने आगे कहा, "जहां अन्य देश इस आजादी को एक नए तरीके से स्वीकार कर रहे हैं और एक नए स्तर पर पहुंच रहे हैं, वहीं हमारे देश की पुरानी विचारधारा के लिए यह एक झटके की तरह है. वे यह नहीं जानते कि प्रमाणपत्र देने से इंकार करके वे इस सोच का दमन नहीं कर सकते."
अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी फिल्म कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में पुरस्कार जीत चुकी है. इसे मियामी, एम्सटरडम, पेरिस और लंदन फिल्म महोत्सवों में भी दिखाया जाएगा.
(इनपुट आईएएनएस से)
लिपस्टिक अंडर माई बुर्का एक छोटे से शहर में रहने वाली चार महिलाओं की कहानी है जो अपने लिए आजादी की तलाश करने की कोशिश करती हैं. फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, विक्रांत मैसी, अहाना कुमरा, प्लाबिता बोरठाकुर और शशांक अरोड़ा ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं.
इस बारे में बात करते हुए प्रकाश झा ने आईएएनएस से कहा, "लिपस्टिक अंडर माई बुर्का एक खूबसूरत फिल्म है. यह समाज के उथले और दमनकारी नियमों को तोड़ती है, जिनके मुताबिक महिलाएं अपनी कल्पनाओं के बारे में खुलकर बात नहीं कर सकतीं. वे जिंदगी को केवल पुरुषों की मानसिकता के अनुसार देखने की आदी हैं और सीबीएफसी के पत्र से यही जाहिर होता है."
उन्होंने आगे कहा, "जहां अन्य देश इस आजादी को एक नए तरीके से स्वीकार कर रहे हैं और एक नए स्तर पर पहुंच रहे हैं, वहीं हमारे देश की पुरानी विचारधारा के लिए यह एक झटके की तरह है. वे यह नहीं जानते कि प्रमाणपत्र देने से इंकार करके वे इस सोच का दमन नहीं कर सकते."
अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी फिल्म कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में पुरस्कार जीत चुकी है. इसे मियामी, एम्सटरडम, पेरिस और लंदन फिल्म महोत्सवों में भी दिखाया जाएगा.
(इनपुट आईएएनएस से)
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