सभी फोटो- एएफपी.
नई दिल्ली:
89वें ऑस्कर अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म का पुरस्कार इस बार ईरानी फिल्म निर्देशक असगर फरहदी की विदेशी भाषा की फिल्म 'द सेल्समैन' को दिया गया. इस पुरस्कार को लेने असगर खुद तो इस समारोह में हिस्सा लेने नहीं आए लेकिन उनके द्वारा भेजी गई चिट्ठी ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादित प्रवासी नीति के विरोध में असगर यह पुरस्कार लेने ऑस्कर 2017 पुरस्कारों के इस समारोह में नहीं पहुंचे. असगर फरहदी की इस चिट्ठी ने डोनाल्ड ट्रंप पर करारा वार किया है. फरहदी की फिल्म द सेल्समैन को साल 2017 का बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म का ऑस्कर मिला है.
असगर फरहदी ने एक पत्र लिखकर कहा, 'मैं अपने देश के लोगों के सम्मान और अमानवीय प्रतिबंध की वजह से नहीं आया.' असगर फरहदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रवासी नीति के विरोध में ऑस्कर 2017 पुरस्कारों में शामिल होने के लिए अमेरिका जाने से इनकार कर दिया था.
ट्रंप प्रशासन ने सात मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अमेरिका प्रवेश पर अस्थायी रोक लगा दी थी. इन देशों में फरहदी का देश ईरान भी शामिल था. हालांकि बाद में एक अमेरिकी अदालत ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले पर रोक लगा दी. फरहदी ने अपने इस पत्र में लिखा है, 'मुझे अफसोस है कि मैं आज रात आपके साथ नहीं हूं. मैं अपने देश के लोगों और बाकी छह देशों के लोगों के सम्मान की रक्षा के लिए मैं गैरमौजूद हूं जिनका अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाकर अपमान किया गया. दुनिया को अमेरिका और बाकी उसके दुश्मन के तौर पर बांटना भय पैदा करने वाला है. ये युद्ध और हिंसा का धोखबाज समर्थन है.'
बता दें कि यह दूसरा मौका था जब असगर फरहदी को अपनी फिल्म के लिए ऑस्कर पुरस्कार दिया गया है. इससे पहले साल 2010 में भी वह अपनी फिल्म 'सेपरेशन' के लिए विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर जीत चुके हैं. फरहदी की फिल्म में एक हाई स्कूल टीचर (शहाब हुसैनी) की कहानी है जो अपनी पत्नी पर हमला करने वाले से बदला लेता है. एमाद और राना युवा दंपति हैं और दोनों ही स्थानीय थिएटर में आर्थर मिलर के नाटक ‘डेथ ऑफ ए सेल्समैन’ में लीड रोल करते हैं. दोनों जब एक नए फ्लैट में जाते हैं उसके बाद उनके रिश्ते तल्ख होने लगते हैं. उनके फ्लैट में पहले एक वेश्या रहती थी जिसके ग्राहक आते-जाते रहते थे. इसी फ्लैट में उसकी पत्नी पर हमला होता है.
फरहदी की फिल्म द सेल्समैन का विदेशी भाषा वर्ग में लैंड ऑफ माइन (डेनमार्क), टोनी एर्दमान (जर्मनी), ए मैन कॉल्ड ओवे (स्वीडन) और तान्ना (ऑस्ट्रेलिया) से मुकाबला था.
असगर फरहदी ने एक पत्र लिखकर कहा, 'मैं अपने देश के लोगों के सम्मान और अमानवीय प्रतिबंध की वजह से नहीं आया.' असगर फरहदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रवासी नीति के विरोध में ऑस्कर 2017 पुरस्कारों में शामिल होने के लिए अमेरिका जाने से इनकार कर दिया था.
ट्रंप प्रशासन ने सात मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अमेरिका प्रवेश पर अस्थायी रोक लगा दी थी. इन देशों में फरहदी का देश ईरान भी शामिल था. हालांकि बाद में एक अमेरिकी अदालत ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले पर रोक लगा दी. फरहदी ने अपने इस पत्र में लिखा है, 'मुझे अफसोस है कि मैं आज रात आपके साथ नहीं हूं. मैं अपने देश के लोगों और बाकी छह देशों के लोगों के सम्मान की रक्षा के लिए मैं गैरमौजूद हूं जिनका अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाकर अपमान किया गया. दुनिया को अमेरिका और बाकी उसके दुश्मन के तौर पर बांटना भय पैदा करने वाला है. ये युद्ध और हिंसा का धोखबाज समर्थन है.'
बता दें कि यह दूसरा मौका था जब असगर फरहदी को अपनी फिल्म के लिए ऑस्कर पुरस्कार दिया गया है. इससे पहले साल 2010 में भी वह अपनी फिल्म 'सेपरेशन' के लिए विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर जीत चुके हैं. फरहदी की फिल्म में एक हाई स्कूल टीचर (शहाब हुसैनी) की कहानी है जो अपनी पत्नी पर हमला करने वाले से बदला लेता है. एमाद और राना युवा दंपति हैं और दोनों ही स्थानीय थिएटर में आर्थर मिलर के नाटक ‘डेथ ऑफ ए सेल्समैन’ में लीड रोल करते हैं. दोनों जब एक नए फ्लैट में जाते हैं उसके बाद उनके रिश्ते तल्ख होने लगते हैं. उनके फ्लैट में पहले एक वेश्या रहती थी जिसके ग्राहक आते-जाते रहते थे. इसी फ्लैट में उसकी पत्नी पर हमला होता है.
फरहदी की फिल्म द सेल्समैन का विदेशी भाषा वर्ग में लैंड ऑफ माइन (डेनमार्क), टोनी एर्दमान (जर्मनी), ए मैन कॉल्ड ओवे (स्वीडन) और तान्ना (ऑस्ट्रेलिया) से मुकाबला था.
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