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This Article is From Aug 31, 2011

रिव्यू : साफसुथरी फिल्म है 'मम्मी पंजाबी'

Mumbai: फिल्म 'मम्मी पंजाबी' बेबीजी यानी किरण खेर पर है जिन्हें कॉलोनी के लोग मम्मी कहकर पुकारते हैं। मम्मी ने अपने दोनों बेटों को बेटियों की तरह पाला है जबकि लड़की की परवरिश लड़कों समान की है। लेकिन हालात तब बदल जाते हैं जब मम्मी आज्ञाकारी बेटों के लिए बहुएं ले आती है। सीधी-साधी देसी बहू बाद में एकदम फैशनेबल लड़की निकलती है जबकि दूसरी एनआरआई बहू फ्रॉड निकल जाती है। इंटरवेल तक मम्मी पंजाबी हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म है। जहां मम्मी अपनी गलत अंग्रेज़ी से हंसाती है वहीं जब सीधी दिखने वाली बहू जब संकोच छोड़कर भड़कीला डांस करती है आप हंसे बगैर नहीं रहेंगे। सेकेंड हाफ इमोशनल है जहां बेटे बहू और बेटी अपनी खुशी के लिए परदेस में जा बसते हैं लेकिन दुखी मम्मी बच्चों की खुशियों में अड़ंगा नहीं बनती। हालांकि सेकेंड हाफ ज्यादा खींचा गया लेकिन किरण खेर अपनी बेहतरीन एक्टिंग से फिल्म में जान डालते रहीं। कंवलजीत और जैकी श्राफ के अच्छे परफॉरमेंस। हिन्दी में डब डायरेक्टर पम्मी सोमल की 'मम्मी पंजाबी' एक साफ-सुथरी फिल्म है जो जिंदादिली से जिंदगी जीने की, खुश रहने की और मां बाप की इज्जत करने की सीख देती है। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।

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मम्मी पंजाबी, रिव्यू, खुशियां
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