फिल्म रिव्यू : 'रुस्तम' में धोखा खाए पति के किरदार में खूब जमे हैं अक्षय कुमार, 3.5 स्टार

फिल्म रिव्यू : 'रुस्तम' में धोखा खाए पति के किरदार में खूब जमे हैं अक्षय कुमार, 3.5 स्टार

खास बातें

  • यह फिल्म 1959 में घटे केएम नानावती के चर्चित कोर्ट केस से प्रेरित है
  • इसकी स्क्रिप्ट और स्क्रीन प्ले आपको अंत तक हिलने नहीं देगा
  • इलियाना के किरदार के पास ज्यादा कुछ करने को नहीं है
मुंबई:

'रुस्तम' का निर्देशन किया है टीनू सुरेश देसाई ने और इसके कई निर्माताओं में से एक हैं, निर्देशक नीरज पांडे जो पहले 'ए वेडनसडे' और 'स्पेशल-26' जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. 'रुस्तम' में अहम भूमिकाएं निभाई हैं, अक्षय कुमार, इलियाना डिक्रूज़, पवन मल्होत्रा, कुमुद मिश्रा, ईशा गुप्ता, अर्जन बाजवा, परमीत सेठी और सचिन खेडेकर ने. हालांकि इस फिल्म की शुरुआत में डिस्क्लेमर आता है कि फ़िल्म की कहानी और पात्र काल्पनिक हैं.
 
यह फिल्म 1959 में घटे केएम नानावती के चर्चित कोर्ट केस से प्रेरित है. फिल्म की कहानी की बात करें तो 'रुस्तम' पावरी एक ईमानदार नेवी ऑफिसर हैं, जो महीनों जहाज पर रहते हैं और एक दिन मुंबई लौटकर जब उसे पता चलता है कि उसकी गैर-मौजूदगी में उसकी पत्नी और उसके दोस्त के बीच एक नाजायज़ रिश्ता पनप चुका है तो वह आपा खो देता है और अपने दोस्त विक्रम का कत्ल कर देता है... बस, इसके आगे की कहानी बताई तो आपका मजा किरकिरा हो जाएगा...

अब फ़िल्म की खामियां-
मुझे लगता है कि फिल्मकार को फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स पर और ध्यान देना चाहिए था, क्योंकि कुछ जगहों पर 50 के दशक की मुंबई दर्शाने के लिए स्पेशल इफेक्ट्स जरूरी थे पर ये दृश्य प्रभावशाली नहीं बन पाए, दूसरी कमी मुझे एक्टर अर्जन बाजवा लगे ये चेहरे-मोहरे में तो ठीक हैं मगर फिल्म के किरदार के लिए और एक्टिंग में कमज़ोर हैं. इसके अलावा कोर्ट का सेट मुझे आज के ज़माने का लगा जबकि फ़िल्म की कहानी 1959 की है...

और अब बात खूबियों की..
इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ूबी है इसकी कहानी, इसकी स्क्रिप्ट और इसका स्क्रीन प्ले जो फ़िल्म के अंत तक आपको हिलने नहीं देता, फिल्म इंटरवल तक कब पहुंच जाती है आपको पता ही नहीं चलेगा...अक्षय कुमार को निर्देशक ने
सेफ़-ज़ोन में रखा है यानी पूरी फ़िल्म में उन्होंने एक धोखा खाए हुए पति के क़िरदार को एक ही एक्सप्रेशन पर खेला है, जो अक्षय पर फिट बैठता है और अक्षय अपने किरदार में उतरते नज़र आते हैं, फ़िल्म के बाकी करेक्टर्स ख़ासतौर पर पवन मल्होत्रा और कुमुद मिश्रा ने एक बार फिर बहतरीन अभिनय का प्रदर्शन किया है, वहीं इलियाना किरदार में फ़िट हैं पर उनके पास ज़्यादा करने को कुछ नहीं है, फ़िल्म की एडिटिंग और सिनेमेटोग्राफ़ी प्रभावशाली है, ख़ासतौर पर मैं पूछताछ वाले दृश्य का ज़िक्र करना चाहूंगा, जिसे बड़े ही खूबसूरत ढंग से फिल्माया गया है. फिल्म कोर्ट सीन्स के दौरान ज्यादा उदासी से न भर जाए इसलिए बड़ी कुशलता से निर्देशक और लेखक ने थोड़ा मनोरंजन की तरफ़ भी ध्यान दिया है. फिल्म के संगीत की बात करें तो गाने अच्छे हैं फिर चाहे वह धुन हो या बोल....तो कुल मिलाकर 'रुस्तम' एक अच्छी फिल्म है और मेरी तरफ से इसे 3.5 स्टार्स...

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