मुंबई:
इस हफ्ते रिलीज़ हुई... फिल्म 'कुछ लव जैसा'। शैफाली शाह मधु नाम की हाऊसवाईफ के रोल में हैं जो शादी और बच्चों के बाद पॉश इलाके में सेटल्ड लाइफ जी रही हैं। लेकिन हाऊसवाईफ की ज़िंदगी जीते-जीते मधु ऊब चुकी है। उसे अपनी आईडेन्टिटी और मनमर्जी की लाइफ चाहिए। इसी तलाश में मधु की मुलाकात पुलिस से बचकर भाग रहे क्रिमिनल राघव यानी राहुल बोस से हो जाती है। मधु राघव को जासूस मान लेती है और उससे गुज़ारिश करती है कि वह उसे एक दिन के लिए अपने मिशन का हिस्सा बना ले। 17 साल पहले आई हॉलीवुड फिल्म ट्रू लाईज़ में भी अरनॉल्ड के किरदार की पत्नी एक वेटर को जासूस समझ कर उसके साथ चल पड़ती है। शायद उसी छोटे से किस्से को 'कुछ लव जैसा' का थीम बना दिया गया। कन्सेप्ट अच्छा है लेकिन स्क्रिप्ट बेहद ढिलाई से लिखी गई। बड़ी आसानी से हाऊसवाईफ… खुद ही… एक अजनबी को जासूस मान लेती है कुछ ही घंटों में उसे दोस्त बना लेती है, उसके लिए दुआएं करती है और रोती भी है। ये हाल मुंबई के पॉश इलाके में रहने वाली एज्युकेटेड हाऊसवाईफ का है। इनकी जासूसी के सीक्वेंस बोरिंग हैं और पूरी फिल्म ही स्लो है। डायरेक्टर बरनाली रे शुक्ला की इस फिल्म के कुछ सीन्स में हाऊसवाईफ की तन्हाई और क्रिमिनल की मासूमियत भरे कुछ सीन्स ज़रूर दिल को छूते हैं। शैफाली शाह अपनी आंखों से बहुत कुछ कह जाती हैं। अच्छी एक्टिंग। अफसोस कि उनके प्रोडूसर हसबैंड विपुल शाह उन्हें एक अच्छी स्क्रिप्ट मुहैया नहीं करा सके। कुछ लव जैसा के लिए मेरी रेटिंग है 2 स्टार।
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हाऊसवाईफ, बोरियत, कुछ लव जैसा