इस फिल्म में ऋतिक रोशन और यामी गौतम ने निभाई है नेत्रहीन व्यक्ति की भूमिका
नई दिल्ली:
इस बुधवार की दूसरी बड़ी फिल्म है काबिल जिसे डायेरेक्ट किया है संजय गुप्ता ने. इस फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाईं हैं ऋतिक रोशन, यामी गौतम, रोनित रॉय, रोहित रॉय, सुरेश मेनन, नरेन्द्र झा और उर्वशी राउतेला ने और फिल्म में संगीत राजेश रोशन ने दिया है. फिल्म की कहानी में रोहन (ऋतिक रोशन) और सुप्रिया (यामी गौतम) नेत्रहीन हैं और दोनो कुछ मुलाकातों के बाद शादी कर लेते हैं. जहां ये रहते हैं उस इलाके के कॉर्पोरेटर( रोनित रॉय) के छोटे भाई अमित (रोहित रॉय) की नजर सुप्रिया पर पड़ती है और वो मौका पाकर अपने एक दोस्त के साथ मिलकर उसका बलात्कार करता है. कॉर्पोरेटर के दबाव में पुलिस कुछ नहीं करती. इसके आगे की कहानी के लिए बेहतर होगा की आप टिकट खरीदें और फिल्म देखें. मैं यहां सिर्फ आपको बताउंगा फिल्म की खामियां और खूबियां.
तो सबसे पहले खामियां. 'काबिल' एक बदले की कहानी है जो लम्हों के सहारे आगे बढ़ती है पर कहानी को रोचक बनाने के मसौदे कम हैं, इसलिए कहानी में कोई नयापन नहीं नजर आता. जहां-जहां गाने आते हैं फिल्म की गति धीमी पड़ जाती है और फिल्म लंबी लगने लगती है.
प्रोमो देखकर आपको ये तो समझ में आ ही गया होगा की फिल्म का हीरो बदला लेने के लिए खलनायक को मौत के घाट उतारेगा और फिल्म देखते वक्त आप सिर्फ मारने के तरीकों का इंतजार करते हैं. इस फिल्म में किरदारों से लेकर परिस्थितियां काफी क्लीशे नजर आती हैं, फिल्म के संगीत की बात करें तो एक गाने को छोड़कर बाकी गाने कुछ खस नहीं कर पाते. तो ये थी फिल्म की खामियां और अब हम बताते हैं आपको इस फिल्म की खूबियां.
फिल्म की कहानी नयी नहीं है पर फिल्म की स्क्रिप्ट आपको बांधकर रखने में कामयाब रहती है. साथ ही आपको अपने सहज अभिनय से लुभा कर रखते हैं ऋतिक रोशन. ऋतिक एक अच्छे एक्टर हैं ये बात वो पहले भी साबित कर चुके हैं और यहां भी आप उनके अभिनय से मायूस नहीं होंगे. फिल्म के कई दृश्य हैं जो आपके दिल को छू जाने में कामयाब होते हैं, मसलन एक मॉल का सीन जहां रोहन और सुप्रिया एक दूसरे को ढूंढ़ते हैं या फिर रेप के बाद का एक सीन.
अभिनय के मामले में दूसरी बाज़ी मारी है एक्टर रोनित रॉय ने जिन्होंने अपने किरदार के मराठी लहजे को बखूबी पकड़ा है और संतुलित अभिनय का परिचय दिया है. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और सीन्स को बल देता है साथ ही फिल्म का टाइटिल ट्रैक ज़ुबान पर चढ़ता है. ये फिल्म आपको बोर तो नहीं करती पर आपको ये भी महसूस नहीं कराती की आपने कुछ हटके देखा है और इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग हैं 2.5 स्टार्स.
तो सबसे पहले खामियां. 'काबिल' एक बदले की कहानी है जो लम्हों के सहारे आगे बढ़ती है पर कहानी को रोचक बनाने के मसौदे कम हैं, इसलिए कहानी में कोई नयापन नहीं नजर आता. जहां-जहां गाने आते हैं फिल्म की गति धीमी पड़ जाती है और फिल्म लंबी लगने लगती है.
प्रोमो देखकर आपको ये तो समझ में आ ही गया होगा की फिल्म का हीरो बदला लेने के लिए खलनायक को मौत के घाट उतारेगा और फिल्म देखते वक्त आप सिर्फ मारने के तरीकों का इंतजार करते हैं. इस फिल्म में किरदारों से लेकर परिस्थितियां काफी क्लीशे नजर आती हैं, फिल्म के संगीत की बात करें तो एक गाने को छोड़कर बाकी गाने कुछ खस नहीं कर पाते. तो ये थी फिल्म की खामियां और अब हम बताते हैं आपको इस फिल्म की खूबियां.
फिल्म की कहानी नयी नहीं है पर फिल्म की स्क्रिप्ट आपको बांधकर रखने में कामयाब रहती है. साथ ही आपको अपने सहज अभिनय से लुभा कर रखते हैं ऋतिक रोशन. ऋतिक एक अच्छे एक्टर हैं ये बात वो पहले भी साबित कर चुके हैं और यहां भी आप उनके अभिनय से मायूस नहीं होंगे. फिल्म के कई दृश्य हैं जो आपके दिल को छू जाने में कामयाब होते हैं, मसलन एक मॉल का सीन जहां रोहन और सुप्रिया एक दूसरे को ढूंढ़ते हैं या फिर रेप के बाद का एक सीन.
अभिनय के मामले में दूसरी बाज़ी मारी है एक्टर रोनित रॉय ने जिन्होंने अपने किरदार के मराठी लहजे को बखूबी पकड़ा है और संतुलित अभिनय का परिचय दिया है. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और सीन्स को बल देता है साथ ही फिल्म का टाइटिल ट्रैक ज़ुबान पर चढ़ता है. ये फिल्म आपको बोर तो नहीं करती पर आपको ये भी महसूस नहीं कराती की आपने कुछ हटके देखा है और इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग हैं 2.5 स्टार्स.
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