 
                                            जयललिता के समर्थक (फाइल फोटो)
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                नई दिल्ली: 
                                        राजनीति में आने से पहले जयललिता तमिल फिल्मों में एक्टर थीं. उन्होंने तमिल सिनेमा में 100 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया. अपने फिल्मी करियर के दौरान जयललिता ने बॉलीवुड फिल्म में भी किस्मत आजमाई थी. उस वक्त जयललिता की उम्र महज 19 साल थी जब 1968 में उन्होंने हिंदी फिल्म 'इज्जत' में किया था. उस फिल्म के हीरो मशहूर अभिनेता धमेंद्र थे. वह जयललिता की एकमात्र हिंदी फिल्म थी.
धमेंद्र, जयललिता के अलावा इस फिल्म में मुख्य भूमिका में तनूजा थीं. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने फिल्म में संगीत दिया था और टी प्रकाश राव ने इस फिल्म का निर्देशन किया था.
  जयललिता ने मुख्य रूप से तमिल के अलावा तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया. एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) के साथ उन्होंने कई कामयाब फिल्में दीं. 1961 से 1980 के दौरान उनका बेहद सफल फिल्मी करियर रहा.
जयललिता ने मुख्य रूप से तमिल के अलावा तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया. एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) के साथ उन्होंने कई कामयाब फिल्में दीं. 1961 से 1980 के दौरान उनका बेहद सफल फिल्मी करियर रहा.
कहा जाता है कि एमजीआर ही जयललिता को राजनीति में लेकर आए लेकिन जयललिता ने इस मसले पर कहा कि उन्होंने खुद ही राजनीति की राह अपनाई. वह 1984 में सबसे पहले राज्यसभा की सदस्य बनीं और 1987 में एमजीआर की मृत्यु के कुछ समय बाद एमजीआर की विरासत पर दावा किया और 1991 में पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं. जानकी रामचंद्रन के बाद तमिलनाडु की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं.
                                                                        
                                    
                                धमेंद्र, जयललिता के अलावा इस फिल्म में मुख्य भूमिका में तनूजा थीं. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने फिल्म में संगीत दिया था और टी प्रकाश राव ने इस फिल्म का निर्देशन किया था.

कहा जाता है कि एमजीआर ही जयललिता को राजनीति में लेकर आए लेकिन जयललिता ने इस मसले पर कहा कि उन्होंने खुद ही राजनीति की राह अपनाई. वह 1984 में सबसे पहले राज्यसभा की सदस्य बनीं और 1987 में एमजीआर की मृत्यु के कुछ समय बाद एमजीआर की विरासत पर दावा किया और 1991 में पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं. जानकी रामचंद्रन के बाद तमिलनाडु की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं.
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