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This Article is From Oct 31, 2014

फिल्म रिव्यू : कमज़ोर स्क्रिप्ट, बचकाने डायलॉग मिलेंगे 'रोर' में

फिल्म रिव्यू : कमज़ोर स्क्रिप्ट, बचकाने डायलॉग मिलेंगे 'रोर' में
मुंबई:

'सुपर नानी' के अलावा इस हफ्ते 'बाघ बचाओ', यानि 'सेव द टाइगर' के संदेश के साथ बनाई गई 'रोर' भी रिलीज़ हुई है, जिसे डायरेक्ट किया है कमल सदाना ने, जो बॉलीवुड में हीरो रह चुके हैं, तथा बतौर निर्देशक यह उनकी पहली फिल्म है...

'रोर' की कहानी सुंदरबन में घटती है, जहां एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर एक सफेद बाघ के बच्चे को तस्करों के चंगुल से बचाता है और अपने घर ले आता है, लेकिन इस बच्चे की मां उसे ढूंढते हुए फोटोग्राफर के घर तक आ जाती है और उसे मार डालती है... फोटोग्राफर के भाई पंडित को जब यह ख़बर मिलती है तो वह बाघिन से बदला लेने के लिए कुछ साथियों के साथ सुंदरबन आता है...

पंडित एक कमांडो है और यह किरदार निभाया है अभिनव शुक्ला ने... यहां पंडित की मदद करती हैं, झुंपा, जो एक ट्रैकर हैं, और यह किरदार निभाया है हिमार्शा वेंकटसामी ने... अब फिल्म में ये लोग बाघों की खोज में हैं, और बाघ इनकी खोज में... इसके साथ ही इनका टकराव होता है जानवरों के तस्करों से, जिसका मुखिया है भीरा, जिसके किरदार में दिखेंगे सुब्रत दत्ता...

अब सबसे पहले बात करते हैं, फिल्म की कमियों की... कहानी में दम नहीं... जहां स्क्रिप्ट कमज़ोर है, वहीं डायलॉग भी बचकाने लगते हैं... पूरी फिल्म में तर्क ढूंढना मुश्किल है... मसलन, इस जंगल के सांपों के पीछे की कहानी... अगर एक्टिंग की बात करूं तो ज़्यादातर अभिनेता फिल्म में कच्चे खिलाड़ी दिखे हैं... अभिनव शुक्ला और हिमार्शा वेंकटसामी कुछ बेहतर हैं, लेकिन बाकी अभिनेता फिल्म में सिर्फ मौजूदगी दर्ज करा पाए हैं, हालांकि भीरा के किरदार में सुब्रत दत्ता अच्छे लगते हैं...

अब बात करते हैं, खूबियों की... फिल्म के सिनेमेटोग्राफर माइकल वॉटसन ने कई जगह कमाल का काम किया है... 'रोर' के स्पेशल इफेक्ट्स भी आपको अच्छे लगेंगे... कमल सदाना की तारीफ इस बात के लिए की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने ऐसा विषय उठाया, जिसे फिल्माना मुश्किल था... निर्देशन में उन्हें अभी और मेहनत की ज़रूरत है... बैकग्राउंड स्कोर मुझे लाउड लगा... जिन लोगों ने जानवरों पर बनी हॉलीवुड फिल्में नहीं देखी हैं, उन्हें 'रोर' में बाघ को देखकर हैरत हो सकती है...

वैसे, साथ ही बड़ी ईमानदारी से अंत में निर्देशक ने यह भी बता दिया है कि फिल्म में उन्होंने बाघों से काम कैसे करवाया... आखिर में आप फिल्म की मेकिंग देखना शायद पसंद करें... एक अच्छी बात यह भी है कि फिल्म में ज़बरदस्ती गाने डालने की कोशिश नहीं की गई है, लेकिन कुल मिलाकर पूरी फिल्म में एक अच्छी कहानी की कमी खलती रहती है... वैसे, मसाला फिल्मों से हटकर कुछ अलग देखना चाहते हैं तो आप 'रोर' देख सकते हैं... मेरी तरफ से फिल्म की रेटिंग है - 2.5 स्टार...

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