यह ख़बर 23 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

फिल्म रिव्यू : 'मैड अबाउट डांस' में मनोरंजन का तड़का नहीं

मुंबई:

फिल्म 'मैड अबाउट डांस' की कहानी है आरव नाम के एक ऐसे लड़के की, जिसे डांस का जुनून है। आरव पढ़ाई के बहाने शेफील्ड जाता है वहां के मशहूर डांसर सीजर के ग्रुप में शामिल होने। लेकिन वह सीजर के एक शागिर्द से हार जाता है और इसके बाद आरव सीजर के ग्रुप से मुकाबला करने के लिए एशियन लड़कों का एक ग्रुप बनाता है।

आरव सपना देखता है भारत का एक डांसिंग ग्रुप बनाकर वर्ल्ड डांस कॉम्पटिशन में हिस्सा लेने का। 'मैड अबाउट डांस' में डांस के जुनून के अलावा दोस्ती निभाने के अच्छे जज्बे हैं। इनकी हार और जीत के जश्न हैं। छोटे-छोटे टुकड़ों में डांस के कई फॉर्म्स हैं, जैसे लॉकिंग, पॉपिंग, ब्रेक डांस, फ्री स्टाइल डांस आदि...

मगर डांस पर आधारित होते हुए भी फिल्म में डांस की कमी है। डांस का जुनून तो है, मगर कॉम्पटीशन के तीन से चार टुकड़ों में डांस दिखाया गया है। डांसिंग के लिए अच्छा संगीत भी जरूरी है, उस लिहाज से फिल्म का म्यूजिक कमजोर है। डांस कॉम्पटीशन जीतने और ग्रुप बनाने की जद्दोजहद है, मगर कहानी बहुत ही धीमी है।

जुनून से एक और बात याद आई कि जिस तरह फिल्म के किरदार आरव को डांस से लगाव है लगता है, इस किरदार को निभाने वाले साहिल प्रेम को भी डांस पर फिल्म बनाने की कुछ ऐसी ही ख्वाहिश थी। शायद इसीलिए साहिल फिल्म के लेखक भी हैं, संगीतकार भी हैं, निर्देशक भी और अभिनेता भी। मेरी नजर में यह एक ऐसी फिल्म है जो आम दर्शकों का शायद मनोरंजन न कर पाए, इसलिए इस फिल्म के लिए के मेरी रेटिंग है 2 स्टार...


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