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This Article is From May 06, 2011

कमजोर स्क्रिप्ट ने फिल्म को साधारण बना दिया

मुंबई: फिल्म हॉन्टेड में मिथुन चक्रवर्ती के बेटे महाअक्षय एक बिज़नेस डील के सिलसिले में भुतहा बंगले पहुंच जाते हैं। धीरे-धीरे उन्हें पता चलता है कि एक वहशी दरिंदे ने बंगले में मीरा नाम की लड़की की आत्मा कैद कर रखी है। इस रोल में टिया बाजपेयी हैं। अब हीरो को इस लड़की की आत्मा को छुटकारा दिलाना है।शुरुआती 40 मिनिट भुतहा माहौल बनाने में खर्च हुए। जलते बुझते बल्ब तेज़ हवा ज़ोर से बंद होते दरवाजे और इस रहस्य में कन्फ्यूज़ होता हीरो। काफी धीमा और साधारण सा फर्स्ट हाफ। रहस्य की परतें खुलते-खुलते इंटरवेल हो जाता है। सेकेंड हाफ थोड़ा तेज़ है और आखिरी आधा घंटा रोमांचक जब भूत की भिडंत हीरो-हीरोइन से होती है। अपनी पिछली फिल्म जिमी की तुलना में महाअक्षय उर्फ मिमोह ने सधी हुई एक्टिंग की है। फिल्म में सौ बरस गीत अच्छा है।  लेकिन कमज़ोर स्क्रिप्ट ने हॉन्टेड को साधारण हॉरर फिल्मों की लाईन में खड़ा कर दिया। हीरोईन को बचाने के लिए हीरो का अस्सी साल पुराने दौर में चले साइंस फिक्शन फिल्मों का चलताऊ फार्मूला है लेकिन हीरो ये कमाल करता कैसे है। ये बताना डायरेक्टर ने ज़रूरी नहीं समझा। ना ही यह कि हीरोईन अपने लॉकेट से वहशी दरिंदे का खून क्यों नहीं धोती। अगर आप हॉन्टेड देखना ही चाहते हैं तो थ्री डी फार्मेट में देखिए। भारी झाड़फनूस टूटी ईंटे और भूत के हाथ सीधे आपसे टकराएंगे जो अलग ही एक्सपीरियेंस है। हॉरर फिल्म में ऐसे ढेरों सीन्स बन सकते थे जो दर्शक को डराते लेकिन डायरेक्टर विक्रम भट्ट ने मौका गंवा दिया। हॉन्टेड के लिए हमारे एंटरटेन्मेंट एडिटर विजय वशिष्ठ की रेटिंग है 2 स्टार।

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