इस शुक्रवार रिलीज़ हुई है 'हैप्पी एंडिंग', जिसे डायरेक्ट किया है राज निदिमोरू और कृष्णा डीके ने... फिल्म के निर्माता हैं दिनेश विजन और सहनिर्माता हैं खुद सैफ अली खान... फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं सैफ अली खान, इलियाना डीक्रूज़, प्रीति ज़िंटा, कल्की कोएचलिन, रणवीर शौरी और गोविंदा...
फिल्म में सैफ अली खान के किरदार का नाम है यूडी, और आंचल के किरदार में हैं इलियाना... दोनों ही लेखक हैं, और किताबें लिखते हैं... यूडी एक दिलफेंक शख्स हैं, लेकिन बहुत आलसी भी हैं... यूडी की एक किताब छह साल पहले आई थी, जो बहुत बड़ी हिट हुई थी और इस किताब की कामयाबी में यूडी छह साल काट देता है... फिर अचानक उसे एहसास होता है कि उसकी जेब खाली हो चुकी है और पैसे कमाने के लिए उसे दोबारा काम शुरू करना पड़ेगा... यूडी शादी की कमिटमेंट से भी बचता है, जिसके चलते उसका कई बार ब्रेक-अप हो चुका है...
इधर, गोविंदा ने एक ऐसे अभिनेता का किरदार निभाया है, जिसका करियर डूबने की राह पर है, और वह ऐसी हिट फिल्म करना चाहता है, जिसे मल्टीप्लेक्स और सिंगल-स्क्रीन दोनों जगह के दर्शक खूब पसंद करें... तो क्या होगा गोविंदा की फिल्म का, और आंचल का, यानि इलियाना, का साथ मिलने के बाद क्या यूडी की ज़िन्दगी की 'हैप्पी एंडिंग' हो पाएगी, यह सब जानने के लिए आपको सिनेमाघर का रुख करना पड़ेगा...
अब बात फिल्म की खामियों और खूबियों की... पहले बात खामियों की... 'हैप्पी एंडिंग' आपको फिल्म 'लव आजकल' की याद दिला सकती है, लिहाज़ा कहानी में आपको नयापन नहीं लगेगा... मुझे पूरी फिल्म में कहानी की कमी नज़र आई... फिल्म का ज़्यादातर हिस्सा मुख्य किरदारों के बीच फिल्माए कुछ ही सीन्स के सहारे टिका दिखा... सरल शब्दों में कह सकते हैं कि फिल्म में कई मनोरंजक सीन्स तो चलते दिखते हैं, लेकिन कहानी आगे नहीं बढ़ती, और इसी ये सीन्स फिल्म को कमज़ोर करते हैं... रणवीर शौरी का हिस्सा फिल्म में बेवजह लगता है... इनका किरदार मनोरंजन तो करता है, लेकिन कहानी में योगदान न के बराबर दिखता है... दूसरे भाग में फिल्म थोड़ी खिंचती भी है...
ऐसा भी नहीं है कि फिल्म में सिर्फ खामियां हैं... सो, खूबियों की बात करें तो राज और डीके के कहानी कहने का तरीका बेहद पसंद आया... फिल्म कई जगह आपको हंसने पर मजबूर करेगी... फिल्म में गोविंदा अच्छे लगते हैं, और उनका काम भी अच्छा है। वहीं सैफ भी फिल्म में मुझे अच्छे लगे, और साथ ही अच्छा लगा उनका ऑल्टर ईगो, यानि उनका अपर-स्वरूप, जिनसे वह फिल्म में बातें करते हैं... प्रीति, कल्की और इलियाना - तीनों ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है... फिल्म के गाने पहले ही लोगों की ज़ुबान पर चढ़ चुके हैं, सो, फिल्म के लिए यह प्लस प्वाइंट रहा... रणवीर शौरी का किरदार अटपटा ज़रूर है, लेकिन उनका काम काबिल-ए-तारीफ है... उधर, फिल्म की एडिटिंग भी मुझे अच्छी लगी... शायद युवा पीढ़ी फिल्म को पसंद कर सकती है, इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 3 स्टार...
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