मधुबाला (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बॉलीवुड अभिनेता फिरोज खान अपने खास स्टाइल और अंदाज के लिए जाने जाते हैं। जब भी उनका नाम सामने आता है तो हैट पहने और सिगार हाथ में लिए एक ऐसे इंसान की छवि आपकी आंखों के सामने उभर आती है, जिसके चेहरे का तेज सामने वाले को भी ऊर्जा से भर देता है। 'कुर्बानी', 'जांबाज', 'दयावान', 'आदमी और इंसान' की याद आ जाती है। 'आदमी और इंसान' के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला था। बतौर निर्माता-निर्देशक उनकी पहली फिल्म 'धर्मात्मा' थी और उनकी आखिरी फिल्म 'वेलकम' थी। अपनी जिंदादिली के लिए चर्चा में रहने वाले फिरोज खान को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वह एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। 26 अप्रैल 2009 को उनकी कैंसर के कारण मौत हुई थी। 27 अप्रैल को उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया था।
नूतन - शर्मीली अदा के सामने सारे स्टाइल फेल
नूतन, हिन्दी सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा जिनकी शर्मीली अदा के सामने सारे स्टाइल फेल हो जाते थे। नूतन ने फिल्मी जीवन की शुरुआत स्कूल में ही कर ली थी। वह पहली मिस इंडिया थीं। उनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस दौर में उन्हें छह बार फिल्मफेयर अवार्ड मिला। इनमें 'सीमा', 'सुजाता', 'बंदिनी', 'मिलन', 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' और 'मेरी जंग'। इन फिल्मों से उन्हें एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में पहचान मिली। नूतन के बेटे मोहनीश बहल बॉलीवुड में अब भी काम कर रहे हैं। नूतन की बहन तनुजा और भतीजी काजोल को कौन नहीं जानता। इस खूबसूरत अदाकार ने 1991 में कैंसर के कारण बॉलीवुड को अलविदा कह दिया।
मधुबाला की मुस्कान पर लाखों थे फिदा
हिन्दी सिनेमा की ऐसी हीरोइन, जिसकी मुस्कान पर लाखों फिदा थे। बॉलीवुड में उनकी एंट्री बेबी मुमताज के नाम से हुई थी। उनकी पहली फिल्म 'बसंत' थी। देविका रानी उनके 'बसंत' में किए गए अभिनय से इतनी प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने उनका नाम मुमताज से बदलकर मधुबाला रख दिया था। उनकी सफल फिल्मों में 'नीलकमल', 'महल', 'फागुन', 'हावरा ब्रिज', 'काला पानी', 'चलती का नाम गाड़ी' और 'मुगल-ए-आजम' उनकी चर्चित फिल्मों में से थीं।
'मुगल-ए-आजम' में उनका शानदार अभिनय देखकर कोई नहीं कह सकता कि वह लंबे समय से बीमार थीं। खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने भारी जंजीरों के साथ अभिनय किया था। वह हृदय रोग (माना जाता है दिल में छेद) से पीड़ित थीं। जिसका पता उन्हें नियमित जांच के दौरान 1950 में ही चल गया था। उन्होंने दूसरे लोगों से अपनी बीमारी को छुपाया। जिंदगी के अंतिम 9 साल उन्हें बिस्तर पर ही गुजारने पड़े और 1969 में उनकी मौत हो गई।
'मदर इंडिया' ने दी नरगिस को खास पहचान
नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था। उन्होंने 'तालाश-ए-हक' से बाल कलाकार के रूप में 1935 में शुरुआत की थी, लेकिन हीरोइन के रूप में उन्हें पहला ब्रेक फिल्म 'तमन्ना' से मिला। 'मदर इंडिया' में निभाई भूमिका के लिए उन्हें देश में ही नहीं विदेशों में भी सम्मान दिलाया। उन्होंने 'श्री 420', 'आवारा', 'बेवफा', 'बरसात', 'जोगन', 'आग' और 'शीशा' सरीखी फिल्मों में काम करके यश बटोरा। नरगिस ने सुनील दत्त से शादी की थी। उनके बेटे संजय दत्त बॉलीवुड में काफी नाम कमा चुके हैं। 3 मई, 1981 को कैंसर के कारण नरगिस इस दुनिया को अलविदा कह गई थीं। सुनील दत्त ने नरगिस की मौत के बाद किसी से शादी नहीं की। तीन बच्चों की परवरिश उन्होंने स्वयं ही की।
ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी का दर्द
चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो.... ये गाना जैसे मीना कुमारी की जिंदगी को बयां करता है। महज चालीस साल की उम्र में उनकी मौत हो गई। उनका असली नाम माहजबीं बानो था। उनकी फिल्म 'बैजू बावरा' 'दो बीघा जमीन', 'परिणीता' और 'पाकीजा' काफी मशहूर हुई थीं। प्रेम और दर्द को परदे पर जितनी बखूबी उन्होंने उतारा वैसा करना आज तक किसी के बस की बात नहीं है। इसीलिए उन्हें बॉलीवुड की ट्रेजेडी क्वीन कहा जाता है। उनकी मौत लिवर सिरोसिस नामक बीमारी के कारण हो गई थी।
महिलाओं की समस्याओं को परदे पर लाईं स्मिता पाटिल
स्मिता पाटिल ने परदे पर अभिनय के जरिये शहरी, मध्य वर्गीय और ग्रामीण महिलाओं के जीवन को सामने लाईं । 'घंघूरु', 'निशांत', 'मंथन', 'नमक हलाल', 'शक्ति', 'मंडी', 'आखिर क्यों', 'नजराना' और 'वारिस' जैसी फिल्मों में काम करके उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने राज बब्बर से शादी की थी, जो पहले से शादीशुदा थे। उनके शादी करने के लिए राजबब्बर ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया था। स्मिता पाटिल की मौत डिलिवरी के वक्त कॉम्प्लिकेशन की वजह से 13 दिसंबर, 1986 को हुई थी। उनके बेटे प्रतीक बब्बर बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सुपरस्टार राजेश खन्ना
बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना का खास अंदाज ही उन्हें अलग पहचान दिला गया था। इंडस्ट्री में प्यार से उन्हें काका कहा जाता था। उन्होंने डिंपल कपाड़िया से शादी की थी। उनके दो बच्चे ट्विंकल और रिंकी खन्ना ने भी बॉलीवुड में काम शुरू किया, लेकिन उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली। 'आराधना', 'दो रास्ते', 'सफर', 'कटी पतंग', 'दुश्मन', 'सच्चा झूठा', 'बावर्ची', 'दाग', 'नमक हराम', 'रोटी', 'सौतन', 'मास्टर जी', 'आखिर क्यों', 'स्वर्ग' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया था। फिल्म 'आनंद' में राजेश खन्ना ने कैंसर पीड़ित युवक का किरदार निभाया था और रियल लाइफ में भी राजेश खन्ना की मौत कैंसर से ही हुई। अंतिम वक्त में उनके साथ डिंपल कपाड़िया, बेटियां और दामाद अक्षय मौजूद थे। उन्हें कैंसर था, यह जानकारी मुमताज ने सबसे पहले शेयर की थी। मुमताज ने राजेश खन्ना के साथ 8 फिल्मों में काम किया। मुमताज ने बताया था कि अंतिम मुलाकात में हम दोनों ने कैंसर से अपनी-अपनी लड़ाई पर चर्चा की थी।
नूतन - शर्मीली अदा के सामने सारे स्टाइल फेल
नूतन, हिन्दी सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा जिनकी शर्मीली अदा के सामने सारे स्टाइल फेल हो जाते थे। नूतन ने फिल्मी जीवन की शुरुआत स्कूल में ही कर ली थी। वह पहली मिस इंडिया थीं। उनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस दौर में उन्हें छह बार फिल्मफेयर अवार्ड मिला। इनमें 'सीमा', 'सुजाता', 'बंदिनी', 'मिलन', 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' और 'मेरी जंग'। इन फिल्मों से उन्हें एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में पहचान मिली। नूतन के बेटे मोहनीश बहल बॉलीवुड में अब भी काम कर रहे हैं। नूतन की बहन तनुजा और भतीजी काजोल को कौन नहीं जानता। इस खूबसूरत अदाकार ने 1991 में कैंसर के कारण बॉलीवुड को अलविदा कह दिया।
मधुबाला की मुस्कान पर लाखों थे फिदा
हिन्दी सिनेमा की ऐसी हीरोइन, जिसकी मुस्कान पर लाखों फिदा थे। बॉलीवुड में उनकी एंट्री बेबी मुमताज के नाम से हुई थी। उनकी पहली फिल्म 'बसंत' थी। देविका रानी उनके 'बसंत' में किए गए अभिनय से इतनी प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने उनका नाम मुमताज से बदलकर मधुबाला रख दिया था। उनकी सफल फिल्मों में 'नीलकमल', 'महल', 'फागुन', 'हावरा ब्रिज', 'काला पानी', 'चलती का नाम गाड़ी' और 'मुगल-ए-आजम' उनकी चर्चित फिल्मों में से थीं।
'मुगल-ए-आजम' में उनका शानदार अभिनय देखकर कोई नहीं कह सकता कि वह लंबे समय से बीमार थीं। खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने भारी जंजीरों के साथ अभिनय किया था। वह हृदय रोग (माना जाता है दिल में छेद) से पीड़ित थीं। जिसका पता उन्हें नियमित जांच के दौरान 1950 में ही चल गया था। उन्होंने दूसरे लोगों से अपनी बीमारी को छुपाया। जिंदगी के अंतिम 9 साल उन्हें बिस्तर पर ही गुजारने पड़े और 1969 में उनकी मौत हो गई।
'मदर इंडिया' ने दी नरगिस को खास पहचान
नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था। उन्होंने 'तालाश-ए-हक' से बाल कलाकार के रूप में 1935 में शुरुआत की थी, लेकिन हीरोइन के रूप में उन्हें पहला ब्रेक फिल्म 'तमन्ना' से मिला। 'मदर इंडिया' में निभाई भूमिका के लिए उन्हें देश में ही नहीं विदेशों में भी सम्मान दिलाया। उन्होंने 'श्री 420', 'आवारा', 'बेवफा', 'बरसात', 'जोगन', 'आग' और 'शीशा' सरीखी फिल्मों में काम करके यश बटोरा। नरगिस ने सुनील दत्त से शादी की थी। उनके बेटे संजय दत्त बॉलीवुड में काफी नाम कमा चुके हैं। 3 मई, 1981 को कैंसर के कारण नरगिस इस दुनिया को अलविदा कह गई थीं। सुनील दत्त ने नरगिस की मौत के बाद किसी से शादी नहीं की। तीन बच्चों की परवरिश उन्होंने स्वयं ही की।
ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी का दर्द
चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो.... ये गाना जैसे मीना कुमारी की जिंदगी को बयां करता है। महज चालीस साल की उम्र में उनकी मौत हो गई। उनका असली नाम माहजबीं बानो था। उनकी फिल्म 'बैजू बावरा' 'दो बीघा जमीन', 'परिणीता' और 'पाकीजा' काफी मशहूर हुई थीं। प्रेम और दर्द को परदे पर जितनी बखूबी उन्होंने उतारा वैसा करना आज तक किसी के बस की बात नहीं है। इसीलिए उन्हें बॉलीवुड की ट्रेजेडी क्वीन कहा जाता है। उनकी मौत लिवर सिरोसिस नामक बीमारी के कारण हो गई थी।
महिलाओं की समस्याओं को परदे पर लाईं स्मिता पाटिल
स्मिता पाटिल ने परदे पर अभिनय के जरिये शहरी, मध्य वर्गीय और ग्रामीण महिलाओं के जीवन को सामने लाईं । 'घंघूरु', 'निशांत', 'मंथन', 'नमक हलाल', 'शक्ति', 'मंडी', 'आखिर क्यों', 'नजराना' और 'वारिस' जैसी फिल्मों में काम करके उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने राज बब्बर से शादी की थी, जो पहले से शादीशुदा थे। उनके शादी करने के लिए राजबब्बर ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया था। स्मिता पाटिल की मौत डिलिवरी के वक्त कॉम्प्लिकेशन की वजह से 13 दिसंबर, 1986 को हुई थी। उनके बेटे प्रतीक बब्बर बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सुपरस्टार राजेश खन्ना
बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना का खास अंदाज ही उन्हें अलग पहचान दिला गया था। इंडस्ट्री में प्यार से उन्हें काका कहा जाता था। उन्होंने डिंपल कपाड़िया से शादी की थी। उनके दो बच्चे ट्विंकल और रिंकी खन्ना ने भी बॉलीवुड में काम शुरू किया, लेकिन उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली। 'आराधना', 'दो रास्ते', 'सफर', 'कटी पतंग', 'दुश्मन', 'सच्चा झूठा', 'बावर्ची', 'दाग', 'नमक हराम', 'रोटी', 'सौतन', 'मास्टर जी', 'आखिर क्यों', 'स्वर्ग' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया था। फिल्म 'आनंद' में राजेश खन्ना ने कैंसर पीड़ित युवक का किरदार निभाया था और रियल लाइफ में भी राजेश खन्ना की मौत कैंसर से ही हुई। अंतिम वक्त में उनके साथ डिंपल कपाड़िया, बेटियां और दामाद अक्षय मौजूद थे। उन्हें कैंसर था, यह जानकारी मुमताज ने सबसे पहले शेयर की थी। मुमताज ने राजेश खन्ना के साथ 8 फिल्मों में काम किया। मुमताज ने बताया था कि अंतिम मुलाकात में हम दोनों ने कैंसर से अपनी-अपनी लड़ाई पर चर्चा की थी।
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