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Raj Kapoor: 6 अगस्त 1948, जिसने बदल डाली थी राज कपूर की लाइफ, बने डायरेक्टर, मिली सुपरहिट सुपरहिट हीरोइन

77 साल पहले एक शुक्रवार आया था. दिन था 6 अगस्त 1948 का. इस दिन राज कपूर के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उनकी लाइफ ही बदल गई और उन्हें मिली एक शानदार हीरोइन.

Raj Kapoor: 6 अगस्त 1948, जिसने बदल डाली थी राज कपूर की लाइफ, बने डायरेक्टर, मिली सुपरहिट सुपरहिट हीरोइन
Raj Kapoor: 77 साल पहले आया वो शुक्रवार जिसने बदल डाली राज कपूर की तकदीर
नई दिल्ली:

राज कपूर ने 6 अगस्त 1948 को रिलीज हुई फिल्म आग में कहा था, सूरत से सीरज बड़ी चीज है. उनकी 77 साल पहले आई इस फिल्म की पूरी टोन ही यही रही है. आग की रिलीज की वजह से भारतीय सिनेमा के इतिहास में 6 अगस्त, 1948 एक बेहद महत्वपूर्ण तारीख बन जाती है. इसी दिन राज कपूर ने अपने निर्देशन करियर की शुरुआत की थी. फिल्म के निर्माता और निर्देशक के तौर पर राज कपूर का यह डेब्यू भारतीय सिनेमा के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. इसी फिल्म के साथ ही आरके स्टूडियो की नींव भी पड़ी और एक से एक शानदार फिल्मों आईं. 

सिनेमा की नई लहर
‘आग' एक युवक के सपनों, प्रेम और असफलता की कहानी थी, फिल्म में नायक (राज कपूर) के बचपन की दोस्त से शादी करने की चाह, जीवन के संघर्ष, प्रेम-पीड़ा और समाज के जटिल भावनात्मक रिश्तों को बेहद संजीदा ढंग से चित्रित किया गया. नर्गिस, प्रेमनाथ और कामिनी कौशल जैसे कलाकारों ने किरदारों में जान फूंकी. 

राज कपूर का शानदार आगाज
राज कपूर ने इस फिल्म से यह जाहिर कर दिया था कि वे सिर्फ अभिनेता नहीं, एक संवेदनशील निर्देशक भी हैं, जिनकी सोच समाज की जटिलताओं को साक्षात मायने देती है. इसी फिल्म के साथ शुरूआत करने वाले राज कपूर आगे चलकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शोमैन कहे जाने लगे,. ‘आग' के माध्यम से उन्होंने दिखाया कि फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, विचार और भावनाओं का सशक्त माध्यम भी हैं. ‘आग' में कई ऐसे सिनेमाई प्रयोग किए गए, जो उस दौर के लिए नायाब थे. जैसे, फ्लैशबैक तकनीक का इस्तेमाल, गीतों में भावनाओं की गहराई और कैमरा मूवमेंट में नवीनता. इस फिल्म का संगीत राम गांगुली ने तैयार किया था और गीत शैलेन्द्र और मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे. 

यहां देखें राज कपूर की आग फुल मूवी

राज कपूर का शानदार आगाज
आग ही वो फिल्म थी जिससे पहली बार नरगिस और राज कपूर एक साथ आए. दोनों की जोड़ी को इतना पसंद किया गया कि इन्होंने एक साथ लगभग 16 फिल्मों में काम किया. जिनमें आग, बरसात, अनाड़ी, श्री 420, आवारा, चोरी चोरी, जागते रहो और आह जैसी फिल्मों के नाम प्रमुखता से आते हैं. 

राज कपूर की आग: निष्कर्ष
‘आग' (1948) की रिलीज के 77 साल बाद भी यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में क्रांतिकारी बदलाव और स्वतंत्र विचारधारा के प्रतीक के रूप में याद की जाती है. इस ऐतिहासिक फिल्म ने 23 साल की उम्र में राज कपूर को डायरेक्टर बना दिया. उनकी फिल्मों में प्रेम का अलग स्तर दिखा उन्होने एक बार कहा था, 'प्रेम जीवन का ईंधन है. इसके बिना अस्तित्व का इंजन मर जाता है.' यही बात उनकी फिल्मों में भी नजर आई.

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