मुंबई:
इस देश में करोड़ों ऐसे लोग मिलेंगे जिनका सपना होता है बॉलीवुड में स्टार बनने का। कुछ लोग अपनी ज़िम्मेदरियों के बोझ तले दबकर पीछा छोड़ देते हैं तो कुछ लोग उस सपने को साकार करने में जी जान से भिड़ जाते हैं। ऐसे करोड़ों दीवानों में से 3 दीवानों की कहानी है 'बॉलीवुड डायरीज़' की जिसमें बैंक में काम करने वाला 50 वर्षीय विष्णु, कॉल सेंटर में काम करने वाला एक युवा और कोठे पर काम करने वाली एक तवायफ़ बॉलीवुड स्टार बनने के सपने को पूरा करने की कोशीश में लगे हैं।
बॉलीवुड के सपनों पर कई फिल्में बन चुकी हैं मगर आम तौर पर फ़िल्म के क्लाइमेक्स में हीरो या हीरोइन का सपना पूरा होता है और वो स्टार बन जाते हैं, मगर ये फ़िल्म उनसे अलग है। ये फ़िल्म उस सब फिल्मों से अलग है जिसमें सपना टूटता हुआ दिखाया गया है।
फ़िल्म के तीनों किरदार एक दूसरे से अलग होकर भी एक कहानी में सुंदरता से पिरोये गए हैं। पहली बार निर्देशक बने के.डी. सत्यम की इस फ़िल्म ने कहीं न कहीं उन करोड़ों लोगों के सपनों को सच्चाई से दिखाने की कोशिश की है जो फिल्म इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने और कामयाब होने की ख्वाहिश पाले रहते हैं। फ़िल्म में ये भी दिखाने की कोशिश है कि किसी का अगर सपना टूटता है तो कई बार उसके पीछे की वजहें भी सही हो सकती हैं।
आशीष विद्यार्थी ने अपने किरदार के साथ भरपूर इंसाफ़ किया है और राइमा सेन ने भी अपनी भूमिका में जान डाली है। बॉलीवुड के युवा दीवाने के रूप में सलीम दीवान भी ठीक लगे हैं। फ़िल्म में सभी गाने बैकग्राउंड में हैं और सुनने में अच्छे लगते हैं।
मैं ये नहीं कहता कि 'बॉलीवुड डायरीज़' बहुत ही लाजवाब फ़िल्म है। इस फ़िल्म में मनोरंजन की भी कमी है, मगर ये ज़रूर कहूंगा कि इस फ़िल्म को एक बार देखें। इस फ़िल्म लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
बॉलीवुड के सपनों पर कई फिल्में बन चुकी हैं मगर आम तौर पर फ़िल्म के क्लाइमेक्स में हीरो या हीरोइन का सपना पूरा होता है और वो स्टार बन जाते हैं, मगर ये फ़िल्म उनसे अलग है। ये फ़िल्म उस सब फिल्मों से अलग है जिसमें सपना टूटता हुआ दिखाया गया है।
फ़िल्म के तीनों किरदार एक दूसरे से अलग होकर भी एक कहानी में सुंदरता से पिरोये गए हैं। पहली बार निर्देशक बने के.डी. सत्यम की इस फ़िल्म ने कहीं न कहीं उन करोड़ों लोगों के सपनों को सच्चाई से दिखाने की कोशिश की है जो फिल्म इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने और कामयाब होने की ख्वाहिश पाले रहते हैं। फ़िल्म में ये भी दिखाने की कोशिश है कि किसी का अगर सपना टूटता है तो कई बार उसके पीछे की वजहें भी सही हो सकती हैं।
आशीष विद्यार्थी ने अपने किरदार के साथ भरपूर इंसाफ़ किया है और राइमा सेन ने भी अपनी भूमिका में जान डाली है। बॉलीवुड के युवा दीवाने के रूप में सलीम दीवान भी ठीक लगे हैं। फ़िल्म में सभी गाने बैकग्राउंड में हैं और सुनने में अच्छे लगते हैं।
मैं ये नहीं कहता कि 'बॉलीवुड डायरीज़' बहुत ही लाजवाब फ़िल्म है। इस फ़िल्म में मनोरंजन की भी कमी है, मगर ये ज़रूर कहूंगा कि इस फ़िल्म को एक बार देखें। इस फ़िल्म लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
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