Birthday Special: आठ साल की उम्र से ही दिलीप की दीवानी थी ‘याहू गर्ल’ सायरा बानो

सायरा बानो बॉलीवुड के क्लासिक एरा की बोल्ड हीरोइनों में से एक मानी जाती हैं...

Birthday Special: आठ साल की उम्र से ही दिलीप की दीवानी थी ‘याहू गर्ल’ सायरा बानो

झुक गया आसमान के गाने में सायरा बानो

खास बातें

  • लंदन में हुई थी उनकी स्कूली शिक्षा
  • मसूरी में हुआ था जन्म
  • पड़ोसन बनी करियर की टर्निंग पॉइंट फिल्म
नई दिल्ली:

‘चाहे कोई मुझे जंगली’ कहे गाने में जब शम्मी कपूर तेजी से याहू...चिल्लाते हैं तो एक प्यारी गुड़िया सी लड़की बर्फ पर लुढ़क जाती है. यह सीन देखकर मजा आता है, और यह आज भी हमारे जेहन में ताजा है. इस लड़की की उम्र सिर्फ 17 साल थी और यह लंदन से पढ़ाई करके भारत लौटी थी. इसकी अदाकारी इतनी अच्छी थी कि इस फिल्म के लिए यह फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट भी हुई थी. इस लड़की का नाम सायरा बानो है, और इसका जन्म 23 अगस्त, 1944 को उत्तराखंड के मसूरी में हुआ था. इनकी मम्मी अदाकारा नसीम बानो और पिता फिल्म प्रोड्यूसर मियां एहसान उल हक थे. आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें:

सायरा बानो दिलीप कुमार की दीवानी थीं. उनकी यह दीवानगी 8 साल की उम्र में शुरू हुई थी जब उन्होंने उनकी फिल्म ‘आन’ देखी थी. उनके दो ही ख्वाब थेः एक्ट्रेस बनना और दिलीप कुमार से शादी करना.

उनकी शिक्षा लंदन में हुई. लेकिन भारत लौटते ही उन्होंने उर्दू पढ़ना शुरू कर दिया क्योंकि दिलीप बेहतरीन उर्दू बोलते थे.

सायरा बानो को ‘हम हिंदुस्तानी’ फिल्म भी ऑफर हुई थी, लेकिन उन्होंने 1961 में ‘जंगली’ के साथ करियर शुरू किया. उस समय वे 17 साल की थीं.

कहा जाता है कि राजेंद्र कुमार के साथ उनका अफेयर था. उन्होंने तीन फिल्म ‘आई मिलन की बेला’, ‘अमन’ और ‘झुक गया आसमान’ की थीं.

सायरा बानो की उम्र उस समय 22 साल थी जब उन्होंने दिलीप कुमार से 1966 में शादी की. दिलीप की उम्र 44 साल थी.

‘पड़ोसन (1968)’ उनके करियर की बड़ी फिल्म साबित हुई और वे इस फिल्म के साथ ही बॉलीवुड की टॉप हीरोइनों की कतार में आ गईं.

दिलीप कुमार ने अपनी बायोग्राफी द सबस्टेंस एंड द शैडो में लिखा है कि सायरा 1972 में प्रेग्नेंट थीं. उनके बेटा होने वाला था. लेकिन हाइ ब्लड प्रेशर की वजह से आठ माह की प्रेग्नेंसी को डॉक्टर नहीं बचा सके. फिर उन्होंने इस खुशी की ओर कभी नहीं देखा.

उन्होंने जॉय मुखर्जी के साथ पांच फिल्में की हैं: ‘आओ प्यार करें’, ‘साज और आवाज’, ‘दूर की आवाज’, ‘यह जिंदगी कितनी हसीन है’ और ‘शागिर्द’.

नवीन निश्चल के साथ वे ‘विक्टोरिया नं.-203 (1972)’ में नजर आई थीं, और फिल्म में वे लड़के के छद्म भेष में विक्टोरिया चलाती दिखीं थी.

उनकी आखिरी फिल्म ‘फैसला’ थी, जिसकी शूटिंग 1976 में पूरी हो गई थी लेकिन फिल्म 1988 में रिलीज हुई. उनके हीरो विनोद मेहरा थे.


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