अर्जुन कपूर
नई दिल्ली:
एनडीटीवी यूथ फॉर चेंज कॉनक्लेव के ‘छूने दो आसमान...” सेशन में फिल्म एक्टर अर्जुन कपूर ने माना कि लड़के-लड़कियों को बराबर समझा जाना चाहिए. लड़कों को सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि औरतों को लेकर भी सजग बनाना चाहिए. उन्हें औरतों की रिस्पेक्ट करना भी सिखाना चाहिए. अर्जुन कपूर के साथ इस सेशन में पायलट कैप्टन ऐनी दिव्या, भारत की सबसे कम उम्र की पीएचडी छात्रा सुषमा वर्मा और गर्ल राइजिंग इंडिया संस्था की कंट्री डायरेक्टर निधि दुबे मौजूद थीं.
इस सेशन की संचालक निधि कुलपति ने पूछा कि आपको कब लगा कि महिलाओं की शिक्षा से जुड़ना चाहिए. अर्जुन ने कहा, “जिन औरतों के साथ मंच पर मैं बैठा हूं, उनके आगे लग रहा है कि मैंने कुछ किया ही नहीं है. एजुकेशन पॉवर होती है. लेकिन मैं एजुकेटेड नहीं हूं. मैं ग्यारहवीं फेल हूं. मैंने बतौर एक्टर शुरुआत की थी. मैं अपनी मां के साथ रहता था. मैं औरतों के इर्दगिर्द बड़ा हुआ हूं. मेरी नानी काफी पॉवरफुल महिला थीं. मेरी मासी भी काम करती थी. सब पढ़ी लिखी औरतें थीं. उन्होंने अपनी राह खुद चुनी. कहीं न कहीं भारत में वह मौका दिया ही नहीं जाता है. हमें इस बात को समझना होगा.”
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महिला सुरक्षा को लेकर उन्होंने अपनी राय से भी रू-ब-रू कराया. उन्होंने कहा, “मेरी भी बहन है. सेफ्टी का ख्याल हमेशा रहता है. यह मसला सिर्फ भारत में ही नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में है. लड़कियां बाहर जाने में डरती हैं. अगर जाती भी हैं तो लड़कों के साथ. यह भी काफी अफसोसजनक है. मुझे लगता है कि लड़कियों की सुरक्षा को लड़कों के सिलेबस में डाला जाए.”
इस सेशन की संचालक निधि कुलपति ने पूछा कि आपको कब लगा कि महिलाओं की शिक्षा से जुड़ना चाहिए. अर्जुन ने कहा, “जिन औरतों के साथ मंच पर मैं बैठा हूं, उनके आगे लग रहा है कि मैंने कुछ किया ही नहीं है. एजुकेशन पॉवर होती है. लेकिन मैं एजुकेटेड नहीं हूं. मैं ग्यारहवीं फेल हूं. मैंने बतौर एक्टर शुरुआत की थी. मैं अपनी मां के साथ रहता था. मैं औरतों के इर्दगिर्द बड़ा हुआ हूं. मेरी नानी काफी पॉवरफुल महिला थीं. मेरी मासी भी काम करती थी. सब पढ़ी लिखी औरतें थीं. उन्होंने अपनी राह खुद चुनी. कहीं न कहीं भारत में वह मौका दिया ही नहीं जाता है. हमें इस बात को समझना होगा.”
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महिला सुरक्षा को लेकर उन्होंने अपनी राय से भी रू-ब-रू कराया. उन्होंने कहा, “मेरी भी बहन है. सेफ्टी का ख्याल हमेशा रहता है. यह मसला सिर्फ भारत में ही नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में है. लड़कियां बाहर जाने में डरती हैं. अगर जाती भी हैं तो लड़कों के साथ. यह भी काफी अफसोसजनक है. मुझे लगता है कि लड़कियों की सुरक्षा को लड़कों के सिलेबस में डाला जाए.”
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