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आम बजट 2017 : टैक्स कानूनों में हुए 10 अहम बदलाव, जो आप पर भी असर डालेंगे...

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जिनकी करयोग्य आय साढ़े तीन लाख रुपये है, उन्हें शिक्षा उपकर मिलाकर 2,650 रुपये की बचत होगी...
नई दिल्ली:

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 में व्यक्तिगत आयकर की सबसे छोटी स्लैब को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, जिसका लाभ सिर्फ कम आय वालों को ही नहीं, ज़्यादा कमाने वालों तक भी पहुंचेगा, लेकिन वे टैक्स विशेषज्ञ निराश हैं, जिन्हें सेक्शन 80सी के तहत करमुक्त बचत सीमा में बढ़ोतरी की उम्मीद थी... 'टैक्समैन' के निदेशक राकेश भार्गव का कहना है, "इस बजट में (इनकम टैक्स एक्ट की) सेक्शन 80सी की सीमा को डेढ़ लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये किया जा सकता था, क्योंकि मौजूदा सीमा पीएफ, बीमा, ट्यूशन फीस जैसे सभी भुगतानों को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है... इसके अलावा बच्चों के लिए पढ़ाई भत्ता, मेडिकल री-इम्बर्समेंट तथा होस्टल भत्ता जैसे कुछ भत्ते बहुत साल पहले निर्धारित किए गए थे, सो, इस बजट में उन्हें भी बढ़ाया जा सकता था..."

टैक्स कानूनों में हुए 10 अहम बदलाव, जो आपकी ज़िन्दगी पर असर डालेंगे...

  1. अरुण जेटली ने ढाई से पांच लाख रुपये तक की आय पर लिए जाने वाले आयकर को 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है. हालांकि आयकरदाता को दोहरा लाभ न मिले, इसलिए सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाली 5,000 रुपये की छूट को घटाकर भी 2,500 रुपये कर दिया गया है, और अब यह सिर्फ उन्हीं करदाताओं को मिलेगी, जिनकी वार्षिक करयोग्य आय साढ़े तीन लाख रुपये तक होगी, यानी जिन करदाताओं की करयोग्य आय साढ़े तीन लाख से पांच लाख रुपये के बीच है, उन्हें अब इस छूट का लाभ नहीं मिलेगा...
  2. इसका अर्थ यह हुआ कि अब जिन लोगों की करयोग्य आय साढ़े तीन लाख रुपये है, उन्हें शिक्षा उपकर (यानी एजुकेशन सेस) मिलाकर सिर्फ 2,650 रुपये की बचत होगी, जबकि साढ़े तीन से पांच लाख रुपये तक कमाने वालों को अधिकतम 7,875 रुपये का लाभ मिलेगा... इसके बाद जिन लोगों की वार्षिक करयोग्य आय पांच से 50 लाख रुपये के बीच है, उन्हें एक समान 12,875 रुपये का लाभ मिलेगा...
  3. इनके अलावा 50 लाख रुपये से ज़्यादा, परन्तु एक करोड़ रुपये से कम कमाने वालों को अब देय करराशि पर 10 प्रतिशत सरचार्ज भी देना होगा, जबकि एक करोड़ से अधिक आय वाले लोगों को पहले की ही तरह 15 प्रतिशत सरचार्ज अदा करना होगा...
  4. व्यापार से इतर पांच लाख रुपये तक की वार्षिक आय वालों के लिए अब एक पेज का बेहद सरल इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म जारी किया जाएगा... वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि इस वर्ग में पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले किसी शख्स की पहले साल में किसी तरह की जांच नहीं की जाएगी, बशर्ते उसके द्वारा किए गए बड़ी रकम के लेनदेन की कोई स्पष्ट जानकारी कर विभाग के पास नहीं हो...
  5. राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम के तहत किए गए निवेश पर आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 से किसी भी तरह की कटौती की इजाज़त नहीं होगी... यह बचत योजना वर्ष 2012-13 के आम बजट में घोषित की गई थी, और यह खासतौर से उन व्यक्तिगत निवेशकों के लिए तैयार की गई थी, जो पहली बार सिक्योरिटी मार्केट में निवेश कर रहे हों, और जिनकी सकल वार्षिक आय एक निश्चित सीमा से कम हो...
  6. इनकम टैक्स अधिकारी अब 10 साल तक के मामलों को दोबारा खोल सकते हैं, यदि तलाशी में 50 लाख रुपये से अधिक की अघोषित आय तथा संपत्ति की जानकारी मिलती है... मौजूदा नियमों के तहत टैक्स अधिकारी करदाता के सिर्फ छह साल पहले तक के खातों की जांच कर सकते हैं... इनकम टैक्स एक्ट में किया गया यह संशोधन 1 अप्रैल, 2017 से लागू होगा, और इस नियम के मुताबिक अब टैक्स अधिकारी किसी भी करदाता की वर्ष 2007 तक के खातों की जांच कर सकेंगे...
  7. समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने वाले करदाताओं को अब एसेसमेंट ईयर 2018-19 से 10,000 रुपये का जुर्माना अदा करना होगा... हालांकि यदि करदाता की वार्षिक आय पांच लाख रुपये से कम है, तो जुर्माने की रकम 1,000 रुपये रहेगी...
  8. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कानूनों में कुछ अन्य बदलाव भी किए हैं, जिनकी वजह से अब जायदाद की बिक्री से होने वाले लाभ पर कम टैक्स दोना पड़ेगा... लॉन्ग-टर्म गेन पाने के लिए योग्य होने की खातिर किसी जायदाद को रखने (होल्डिंग पीरियड) की अवधि तीन साल से घटाकर दो साल कर दी गई है... मौजूदा कर-नियमों के मुताबिक यदि कोई संपत्ति खरीदे जाने के तीन साल के भीतर बेच दी जाती है, तो सौदे में हुए लाभ को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है, और उस पर उसी स्लैब के तहत कर वसूला जाता है, जिस स्लैब में विक्रेता आता है...
  9. अब व्यक्तिगत करदाताओं को 50,000 रुपये मासिक से ज़्यादा बड़ी किराये की रकम पर 5 प्रतिशत टीडीएस काटना होगा... टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से सुनिश्चित हो सकेगा कि जो लोग किराये से बड़ी रकमें कमा रहे हैं, वे टैक्स के दायरे में आएं... यह नियम 1 जून, 2017 से लागू होगा...
  10. नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) से आंशिक निकासी पर टैक्स नहीं लगेगा... प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, कोई भी एनपीएस सब्सक्राइबर रिटायरमेंट से पहले ही अपने कुल अंशदान का 25 प्रतिशत एमरजेंसी की स्थिति में निकाल सकता है... याद रखें कि रिटायरमेंट पर कुल अंशदान की 40 प्रतिशत निकासी करमुक्त है...

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