गुरुवार की शाम एनडीए नेताओं का भोज था
पटना:
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में खींचतान चरम पर पहुंचती दिख रही है. महाराष्ट्र में शिवसेना के तेवर धीले नहीं हो रहे हैं तो आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू ने किनारा कर लिया है. अब बिहार में आपस में ही सिर फुटौवल शुरू हो गई है. बिहार में एनडीए का नेता कौन होगा इस पर तो बहस चल रही रही है . लोकसभा चुनाव में अभी करीब एक साल बाकी है लेकिन बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में नेतृत्व के 'चेहरे' और 'सीटों' को लेकर अभी से टकराव शुरू हो गया है.
15 बड़ी बातें
- एनडीए घटक दलों में शामिल सभी पार्टियां अधिक से अधिक सीटों पर अपनी दावेदारी कर रही हैं. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (युनाइटेड) राज्य में खुद को 'बड़े भाई' के रूप में पेश कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर दबाव बना रही है.
- जडीयू के वरिष्ठ नेता क़ेसी़ त्यागी कहते हैं, 'सीटों के बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं है. बिहार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में इससे कौन इन्कार कर सकता है कि बिहार में नीतीश ही एनडीए का चेहरा हैं.'
- त्यागी ने कहा कि बिहार विधानसभा में राजग घटक दलों में जद (यू) सबसे बड़ी पार्टी है. लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर अभी कोई बातचीत शुरू नहीं हुई है. हमें उम्मीद है कि जब यह शुरू होगी तो इसका सकारात्मक समाधान होगा.
- इधर, लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता पशुपति कुमार पारस ने स्पष्ट कहा कि जीती हुई सीटें छोड़ने का प्रश्न ही नहीं हैं.
- उन्होंने लोकसभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर पूछे गए प्रश्न के जवाब में कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
- लोजपा के प्रमुख रामविलास के पुत्र और सांसद चिराग पासवान हालांकि लोकसभा चुनाव में नीतीश के नेतृत्व को नकारते हुए कहते हैं कि राजग की तरफ से लोकसभा का चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर ही लड़ा जाएगा. विधानसभा चुनाव का चेहरा नीतीश कुमार हो सकते हैं.
- चिराग ने कहा नेतृत्व को लेकर राजनीति की जा रही है. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा बिहार में चुनाव का चेहरा सुशील मोदी और रामविलास पासवान क्यों नहीं हो सकते?
- इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सधे हुए अंदाज में कहते हैं कि राजग में कोई परेशानी नहीं हैं.
- उन्होंने कहा, 'दल मिल गए हैं तो दिल मिलने में भी परेशानी नहीं है. डबल इंजन की सरकार बिहार में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों के चेहरे पर जनसमर्थन मांगेगी. सीटों के तालमेल में भी कोई मुश्किल नहीं होगी.'
- गुरुवार शाम को भाजपा द्वारा भोज का आयोजन किया गया जिसमें सभी घटक दल के नेता शामिल हुये. लेकिन आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा ने हिस्सा नहीं लिया.
- लेकिन आज उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में एनडीए एकजुट हैं और रहेगा.
- कुशवाहा आज सुबह पटना पहुंचे और उन्होंने पत्रकारों से पूछा कि गुरुवार के भोज में शामिल नहीं होने पर केवल उन्हीं से सवाल क्यों पूछा जा रहा है.
- फिर उन्होंने जवाब दिया कि वो कुछ निजी कार्यक्रम में व्यस्तता के कारण पटना नहीं आ सके.
- गौरतलब है कि बिहार में राजग की पहली पारी में जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में रही है. साल 2009 में जेडीयू और भाजपा ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, उस दौरान बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से जद (यू) ने 25 तो भाजपा ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
- लेकिन साल 2014 में जेडीयू एनडीए से अलग हो गई. उसे लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा जबकि उस चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाली राजग ने 31 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)