नई दिल्ली:
26 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था जो बुधवार को समाप्त हुआ। इस पूरे सत्र में राज्यसभा को काम के लिए जितना वक्त दिया गया था, उसमें से सिर्फ आधे टाइम ही काम हुआ।
एक नज़र इस सत्र के कुछ आंकड़ों पर -
- राज्यसभा में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए ने विपक्ष की रुकावटों की वजह से अपने 55 घंटे खोए। उसे इस सत्र में काम करने के लिए 112 घंटे दिए गए थे।
- उधर लोकसभा में भाजपा को बहुमत हासिल है और वहां इस पार्टी ने 115 घंटे काम किए - तयशुदा 114 घंटे से एक घंटा ज्यादा
- संसद के हर एक सदन को चलाने के लिए 29 हज़ार रुपए प्रति मिनट का खर्चा बैठता है। और राज्यसभा में घंटों का नुकसान होने की वजह से राजकोष को 10 करोड़ का नुकसान पहुंचा।
- लोकसभा में 14 बिल पास किए गए और 104 प्रतिशत उत्पादन क्षमता दर्ज की।
- राज्यसभा ने 9 बिल पास किए और 46 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी दर्ज की गई। पिछले साल संसद में लाए गए जीएसटी बिल ने इस बार भी राज्यसभा में विचाराधीन रहा।
- संसद को ट्रैक करने वाली एजेंसी पीआरएस के मुताबिक लोकसभा ने करीब 50 घंटे गैर वैधानिक काम में बिताए, वहीं 33 घंटे वैधानिक कामकाज में बीते।
- राज्यसभा में गैर वैधानिक काम में 37 घंटे और वैधानिक काम में 10 से भी कम घंटे बिताए गए। अपने तयशुदा घंटों में से 64 प्रतिशत वक्त निचले सदन ने गैर वैधानिक काम में बिताए।
- प्रश्नकाल - हर सत्र में प्रतिदिन एक घंटा सदस्यों को दिया जाता है ताकि वह मंत्रालयों से उनके कामकाज के बारे में सवाल कर सकें - लोकसभा ने इस काम में 87 प्रतिशत उत्पादन क्षमता दिखाई यानि करीब 15 घंटे का प्रश्नकाल चला।
- राज्यसभा में प्रश्नकाल के लिए केवल 14 प्रतिशत हिस्सा ही इस्तेमाल किया गया यानि पूरे सत्र का सिर्फ ढाई घंटा।
- कई दिनों की रुकावटों के बाद राज्यसभा ने सिर्फ 22 दिसबंर को लगातार पांच घंटे काम किया जब जुवेनाइल जस्टिस बिल को पास किया गया। लोकसभा में यह बिल मई में पास कर दिया गया था।