लोकसभा चुनाव 2019 से पहले मोदी सरकार (Modi Govt) ने बड़ा दांव खेलकर विपक्ष के चुनावी हमलों को एक तरह से कमजोर कर दिया है. मोदी सरकार ने अपने मास्टरस्ट्रोक के तहत आर्थिक तौर पर कमजोर सवर्णों (quota Bill for economically weak in general category) को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फ़ैसला किया है. आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पेश किया और उसे पारित भी करा लिया. बिल के समर्थन में जहां 323 वोट पड़े वहीं, विरोध में महज 3 वोट. हालांकि, राज्यसभा में आज यानी बुधवार को इस बिल को पेश किया जाएगा. राज्यसभा में इस बिल को लेकर सरकार की अग्निपरीक्षा होगी. हालांकि, लोकसभा में जिस तरह से विपक्षी पार्टियों ने अपने तेवर दिखाए, उससे नहीं लगता कि सरकार को यहां से पास कराने में खासा परेशानी होगी, मगर कांग्रेस की जेपीसी की मांग इस बिल को लटका सकती है.
General Category Reservation: राज्यसभा में आज पेश होगा आर्थिक आरक्षण बिल, 10 बड़ी बातें
- दरअसल, आर्थिक आधार पर आरक्षण विधेयक को लेकर लोकसभा में मंगलवार को करीब 5 घंटे तक चली बहस में लगभग सभी दलों ने इसका पक्ष लिया, लेकिन किसी ने भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया. हालांकि कई सांसदों ने इस विधेयक को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल भी खड़े किए. कांग्रेस ने कहा कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए गए विधेयक के समर्थन में है, लेकिन उसे सरकार की मंशा पर शक है. पार्टी ने कहा कि सरकार का यह कदम महज एक 'चुनावी जुमला' है और इसका मकसद आगामी चुनावों में फायदा हासिल करना है. वहीं, बसपा, सपा, तेदेपा और द्रमुक सहित विभिन्न पार्टियों ने इसे भाजपा का चुनावी स्टंट करार दिया.
- बता दें कि बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था. गरीब सवर्णों के लिए 10 फ़ीसदी का यह आरक्षण 50 फ़ीसदी की सीमा से अलग होगा. केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इस संशोधन को मंज़ूरी दी थी. माना जा रहा है कि सरकार ने ये क़दम बीजेपी से नाराज़ चल रहे सवर्णों के एक बड़े धड़े को लुभाने के लिए उठाया है. इसी बीच शीत सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बढ़ा दी गई है, यानी अब राज्यसभा में 9 जनवरी तक कामकाज होगा. माना जा रहा है कि सरकार ग़रीब सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का जो संविधान संशोधन बिल लाने जा रही है, उसी के मद्देनज़र राज्यसभा की कार्यवाही बढ़ाई गई है.
- आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक के समय पर राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां बुधवार को सवाल उठा सकती हैं. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विपक्षी पार्टियों ने अपने सभी सदस्यों से बुधवार को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए कहा है. राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है. मंगलवार को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां इस पर कड़ा रुख अपना सकती हैं.
- राज्यसभा में भाजपा के पास सबसे अधिक 73 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 50 सदस्य हैं. राज्यसभा में अभी सदस्यों की कुल संख्या 244 है. सूत्रों ने यह भी बताया कि विपक्षी पार्टियों के नेता राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ाने के सरकार के ‘एकतरफा' कदम का भी विरोध कर रहे हैं और वे सदन में विरोध प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने बताया कि कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन कर सकती है, जबकि विपक्षी पार्टियां इसे पारित करने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं.
- 124वां संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि सामान्य वर्ग के लोग जो आर्थिक आधार पर पिछड़े हुए हैं, उन्हें इस आरक्षण से समानता का माहौल मिलेगा. साथ ही जल्दबाज़ी में बिल लाने के विपक्ष के आरोपों पर कहा कि ये बिल काफ़ी सोच-समझ कर और चर्चा के बाद लाया गया है.
- बिल पर बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अधिकतर राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र में अनारक्षित और आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण दिलाने का जुमला डाला था. अब अगर आप सब इसका विरोध नहीं कर रहे हैं तो खुलकर समर्थन करिए. जेटली ने कांग्रेस को कहा कि आज आपकी परीक्षा है, समर्थन कीजिए तो मन के साथ कीजिए.
- कांग्रेस ने इस बिल का विरोध तो नहीं किया, लेकिन बिल को संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी को भेजने की मांग कर दी. कांग्रेस ने कहा कि हम सामान्य वर्ग को आरक्षण दिए जाने से एतराज़ नहीं है, लेकिन इसकी टाइमिंग को लेकर सरकार की मंशा पर संदेह होता है. जिस जल्दबाज़ी में सरकार ने ये बिल लाया है, उसे देखकर यह चुनावी स्टंट लगता है.
- समाजवादी पार्टी ने भी इस बिल का समर्थन किया, लेकिन टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए. सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि जो बिल पहले सेशन में आना चाहिए था, उसे आख़िरी सेशन में लाया गया है. सरकार की नीयत और नीति क्या है, वो जनता भी जानती है.
- सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा- यह जो बिल लाया गया है. आखिरी विधेयक के तौर पर इसे जिस नीयत और नीति से लाया गया है, उसे अवाम भी जानती है. आबादी के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए. हम चाहते हैं कि विचार करने के बाद इस आरक्षण बिल को लाया जाए. मैं इस बिल का समर्थन करता हूं, लेकिन मैं 100 फीसदी आरक्षण लाए जाने की मांग करता हूं.
- वहीं आरजेडी ने बिल का विरोध किया. आरजेडी ने इसे धोखा बताते हुए पिछड़े-दलितों के लिए 85 फ़ीसदी आरक्षण की मांग की... आरजेडी के नेता जेपी यादव ने कहा कि जिस जाति की संख्या जितनी है, उसे उतना ही आरक्षण देना चाहिए. AIMIM ने भी बिल का विरोध किया. ओवैसी ने कहा कि सरकार जितना भी जश्न मिला ले, ये क़दम कोर्ट में ख़ारिज हो जाएगा.