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इस भव्य इमारत से खट्टी-मीठी यादों के साथ जा रहा हूं : विदाई समारोह में बोले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, 10 खास बातें

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, मैं इस सुकून के साथ जा रहा हूं कि मैंने देश के लोगों की उनके एक सेवक के तौर पर सेवा की.

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संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित विदाई समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
नई दिल्ली:

संसद के सेंट्रल हॉल में देश के सांसदों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को औपचारिक विदाई दी. इससे पहले शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके सम्मान में विदाई भोज दिया था. रविवार को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद के दोनों सदनों के सदस्य उपस्थित थे.

  1. उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद को नई गरिमा, नई पहचान दी है. राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनके विचारों ने राष्ट्रपति पद की गरिमा को और बढ़ाया है.

  2. प्रणब मुखर्जी ने अपने विदाई भाषण में राष्ट्रपति के तौर पर अपने दिनों और अपने अनुभवों को याद किया. उन्होंने कहा कि संसद विचार-विमर्श, बहस और असहमति जताने का मंच है और इसकी कार्रवाई में बाधा से ज्यादा नुकसान विपक्ष को ही होता है.

  3. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संविधान की रक्षा करने और उसे अक्षुण्ण रखने की पूरी कोशिश की.

  4. उन्होंने कहा, मैं इस भव्य इमारत से खट्टी-मीठी यादों और इस सुकून के साथ जा रहा हूं कि मैंने इस देश के लोगों की उनके एक सेवक के तौर पर सेवा की.

  5. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उनके व्यक्तित्व का विकास संसद में ही हुआ. एक ऐसा व्यक्ति, जिसके राजनीतिक दृष्टिकोण और व्यक्तित्व को इस लोकतंत्र के मंदिर ने एक नया रूप दिया.

  6. राष्ट्रपति ने इस बात का स्मरण किया कि उन्होंने 48 वर्ष पहले 34 वर्ष की आयु में इस पवित्र संस्था के प्रांगण में पहली बार प्रवेश किया तथा लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य के रूप में 37 वर्षों तक कार्य किया.

  7. उन्होंने कहा कि उन दिनों संसद के दोनों सदनों में सामाजिक और वित्तीय विधानों पर जीवंत चर्चाएं और विद्वत्तापूर्ण एवं विस्तृत वाद-विवाद होते थे.

  8. राष्ट्रपति ने इस बात का उल्लेख किया कि हाल ही में जीएसटी को पारित किया जाना और 1 जुलाई, 2017 को इसे लागू किया जाना सहकारी संघवाद का जीवंत उदाहरण है और यह बात भारतीय संसद की परिपक्वता का श्रेष्ठ प्रमाण है.

  9. मुखर्जी ने कहा कि एक महान भारत के उद्भव के क्रमिक रूप से बदलते परिदृश्य को देखने और इसमें भाग लेने का उन्हें विशेष अवसर मिला है. उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक हिस्से को संसद में प्रतिनिधित्व प्राप्त है और प्रत्येक सदस्य के विचार महत्वपूर्ण होते हैं.

  10. उन्होंने कहा कि जब संसद कानून बनाने की अपनी भूमिका में असफल रहती है या चर्चा किए बिना कानून बनाती है, तो यह संसद के प्रति लोगों के विश्वास को खंडित करती है.

वीडियो : पीएम मोदी ने कुछ यूं की राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तारीफ


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