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भारत साथ जीता है, साथ बढ़ता है - अमेरिकी कांग्रेस में पीएम मोदी के संबोधन की 10 खास बातें

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पीएम बनने के बाद यह दसवां मौका है जब नरेंद्र मोदी ने किसी विदेशी संसद को संबोधित किया
वाशिंगटन:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा और अमेरिका का इतिहास अलग है, लेकिन हमारी मान्यताएं एक समान हैं। भारत बुरे समय में साथ देने के लिए अमेरिका का शुक्रगुज़ार है।

खास बातें

  1. मैं कांग्रेस की संयुक्त सभा को संबोधित करके गौरवांवित महसूस कर रहा हूं, आपने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रा और इसके 1.25 अरब लोगों को सम्मान दिया।
  2. लोकतंत्र का यह मंदिर दुनिया भर के लोकतंत्र को प्रोतसाहित और सशक्त किया है। लोकतंत्र के इस मंदिर में हर व्यक्ति सामान है। हमारे देशों का इतिहास भले ही अलग-अलग रहा हो, लेकिन लोकतंत्र और स्वतंत्रता में हमारी समान आस्था है।
  3. यह विचार कि सभी नागरिक समान हैं, भले ही अमेरिकी संविधान का आधार स्तंभ है, लेकिन हमारे संस्थापकों का भी ऐसा ही मत था और उन्होंने भारत में प्रत्येक नागरिक को सामान स्वतंत्रता दी गई। महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत ने मार्टिन लूथर किंग को प्रेरित किया।
  4. हमारे संस्थापकों ने एक आधुनिक राष्ट्र का निर्माण किया, जिसकी आत्मा स्वतंत्रता, लोकतंत्र और समानता में है। और ऐसा करते हुए उन्होंने सुनिश्चित किया कि हम अपने वर्षों पुरानी विविधता को बरकरार रखें। भारत साथ जीता है, साथ बढ़ता है और साथ ही जश्न मनाता है।
  5. मेरी सरकार के लिए संविधान सबसे पवित्र पुस्तक है और उस पवित्र पुस्तक में आस्था, अभिव्यक्ति और मताधिकार की आजादी दी गई और सभी नागरिकों को उनकी पृष्टभूमि देखे बिना सभा अधिकार दिए गए हैं।
  6. भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंध एशिया से लेकर अफ्रिका और हिंद महासागर से लेकर प्रशांत तक के लिए शांति, समृधि और स्थिरता का आधार बनेंगे।
  7. तीस लाख भारतीय अमेरिकी- आपके सर्वश्रेष्ठ CEOs, शिक्षाविदों, अंतरिक्ष यात्रियों, वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों, डॉक्टरों, यहां तक कि स्पेलिंग बी चैंपियन में शामिल हैं।
  8. नवंबर 2008 में सरहद पार से आए आतंकवादियों ने मुंबई पर जब हमला किया, तो अमेरिकी कांग्रेस ने जो एकजुटता दिखाई, भारत उसे कभी नहीं भूलेगा।
  9. आतंकवाद हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ। यूं तो इसकी (आतंकवाद की) छाया दुनिया भर में फैल रही है, लेकिन भारत के पड़ोस में यह फल-फूल रहा है। अपने राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों इनाम देना बंद करना उन्हें जवाबदेह बनाने का पहले कदम होगा।
  10. सिर्फ सेना, खुफिया जानकारी और कूटनीति के पारंपरिक साधनों से आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती, इसके लिए हमारे साझा प्रयास को और मजबूत करने की जरूरत है।

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