रूस-यूक्रेन युद्ध की भेंट चढ़ा नोवा कखोव्का जलविद्युत संयंत्र का एक बांध
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से दक्षिणी यूक्रेन में नोवा कखोव्का जलविद्युत संयंत्र का एक बांध टूट गया. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले का आरोप लगाया है. बांध के टूटने से वहां बाढ़ आ गई है. इससे भारी नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है.
नोवा कखोव्का (Nova Kakhovka) बांध यूक्रेन के सबसे बड़े बांधो में एक है, ये फिलहाल रूस के नियंत्रण में है. ये 1956 में बनकर तैयार हुआ. ये 30 मीटर ऊंचा, 3.2 किलोमीटर लंबा है और 18 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसमें करीब 18 मिलियन क्यूबिक लीटर पानी रहता है. निप्रो नदी पर बना ये बांध हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर, सिंचाई और आवागमन के लिए इस्तेमाल में आता है. ये जेपोरेझिया न्यूक्लियर पॉवर प्लांट को भी पानी देता है, जिससे न्यूक्लियर प्लांट को ठंडा रखा जा सके.
यूक्रेन और रूस के बीच जारी लड़ाई में इस बांध के टूटने की ख़बर है. नोवा कखोव्का बांध के टूटने से यूक्रेन को भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है. दक्षिणी यूक्रेन का बड़ा हिस्सा भारी बाढ़ की चपेट में आने का खतरा है. कई बस्तियों में पानी घुसने की भी खबर आ रही है. कुछ घंटों में जलस्तर गंभीर स्तर तक पहुंच जाएगा. इन इलाक़ों में रहने वालों को सुरक्षित जगहों जाने की सलाह दी जा रही है, लोगों को निकालने का काम भी शुरू किया गया है. फिलहाल करीब 16000 लोगों के प्रभावित होने की बात की गई है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इसे रूस का 'आतंकवाद' बताया है. नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक कर रहे हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की पिछले साल ही चेतावनी दे चुके हैं कि नोवा कखोव्का बांध पर हमला दुनिया के खिलाफ़ जंग मानी जाएगी. दूसरी तरफ़ रूस ने कहा है कि इस तबाही के लिए यूक्रेन ख़ुद ज़िम्मेदार है. इसे यूक्रेन की तरफ़ से की गई आतंकी कार्रवाई बताया गया है. रूस के एक अधिकारी ने कहा है कि बमबारी से प्लांट का केवल ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है, बांध नहीं.
यूक्रेन के कई बिजलीघर रूस के हमले में तबाह हो चुके हैं, जिससे उसे बिजली संबंधी परेशानी हो रही है. नोवा कखोव्का जल विद्युत परियोजना के बंद होने से ऊर्जा संबंधी दिक्कत भी बढ़ेगी, क्योंकि इससे करीब 30 लाख लोगों को बिजली मिलती है.
ये बांध यूक्रेन के खेरसन क्षेत्र के साथ-साथ क्रीमिया को भी पानी देता है. खेरसन इलाके में रूस ने मौजूदा युद्ध के दौरान कब्ज़ा किया जबकि क्रीमिया पर 2014 से उसका कब्ज़ा है यानी बांध की तबाही से रूस के नियंत्रण वाले क्षेत्र में भी नुकसान होगा. दरअसल, इस डैम को युद्ध के हथियार के तौर पर शुरू से ही इस्तेमाल किया जा रहा है. युद्ध के शुरुआत से ही रूस की तरफ़ से आशंका जतायी गई कि यूक्रेन इस पर हमला कर सकता है और इसकी जिम्मेदारी रूस पर डाल कर उसे बदनाम करने की कोशिश कर सकता है. 2022 में इस बांध से जुड़े एक पुल पर हमला किया गया, इससे वो पुल टूट गया. पुल पर हमले के वीडियो के जरिए इसे रूस की तरफ़ से किया गया हमला बताया गया. ताजा हमले के बाद यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध और तेज़ होने का आंशका जतायी जा रही है.