रिलायंस जियो के आने से टेलीकॉम सेक्टर में इन दिनों खासी हलचल दिख रही है (प्रतिकात्मक)
नई दिल्ली:
देश की सबसे बड़ी दूरसंचार स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया शनिवार सुबह से शुरू हो गई. सरकार ने इन स्पेक्ट्रम की कीमत 5.6 लाख करोड़ रुपये रखी है.
स्पेक्ट्रम नीलामी की 10 खास बातें
- देश में सात दूरसंचार कंपनियां सात बैंड में कुल 2,354.55 मेगाहर्ट्ज की नीलामी के लिए मैदान में हैं.
- इसमें 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1,800 मेगाहर्ट्ज, 2,100 मेगाहर्ट्ज, 2,300 मेगाहर्ट्ज और 2,500 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम हैं. इस फ्रीक्वेंसी को 2जी, 3जी और तेज गति वाली 4जी मोबाइल सेवा में इस्तेमाल किया जा सकता है.
- इस नीलामी में सभी की नजरें 700 मेगाहर्ट्ज बैंड पर है, जो कि पहली बार नीलामी के लिए रखा गया है.
- इस 700 मेगाहर्ट्ज बैंड को खरीदने की इच्छुक कंपनी को पैन-इंडिया आधार पर 5 मेगाहर्ट्ज के लिए कम से कम 57,425 करोड़ रुपये देने होंगे.
- इस नीलामी प्रक्रिया में भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, रिलायंस जियो इन्फोकॉम, रिलायंस कम्युनिकेशंस, आइडिया सेलुलर, एयरसेल और टाटा टेलीकम्युनिकेशन हिस्सा ले रही हैं.
- प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों ने नीलामी में हिस्सा लेने के लिए जमानत राशि के रूप में 14,653 करोड़ रुपये जमा कराए हैं. वहीं रिलायंस जियो ने अकेले 6500 करोड़ रुपये जमा कराये हैं.
- रिलायंस जियो के आने से टेलीकॉम सेक्टर में इन दिनों खासी हलचल देखने को मिल रही है. जियो से टक्कर के लिए वोडाफोन ने भारतीय इकाई में करीब 47,000 करोड़ रुपये डालने का फैसला किया है.
- रिलायंस जियो से टक्कर के लिए वोडाफोन सहित दूसरी टेलीकॉम कंपनियां तैयारियों में जुटी हैं, ऐसे में यह नीलामी खासी दिलचस्प रहने की उम्मीद है.
- केंद्र सरकार ने इस नीलामी के जरिये 98,994.93 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने का लक्ष्य रखा है.
- इससे पहले साल 2010 में 3जी एयरवेव्स में 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड की नीलामी से 1.10 लाख करोड़ रुपये मिल थे.