प्रधानमंत्री मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में अपने दौरे के दौरान आज बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी भी पहुंचे। वहां उन्होंने विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह के दौरान संबोधित किया।
पढ़ें उनके संबोधन की मुख्य बातें :
महात्मा जी (मदन मोहन मालवीय) और महात्मा गांधी जी, दोनों, चाहते थे कि युवाओं को यह पढ़ाया जाए कि देश को कैसे कैसे योगदान दिया जा सकता है।
मैं उन लोगों को धन्यवाद करता हूं जिन्हें आज डिग्री मिली है। मैं उनके परिवार को भी शुभकामनाएं देता हूं।
जब आप एक बार सर्टिफिकेट ले लेते हैं, तो दुनिया का आपको देखने का ढंग बदल जाता है।
जीवन में हर पल कैसे नया कुछ करें, इसी में तो जीवन का आनंद है।दुनिया कई चुनौतियों को झेल रही है। हमें सोचना चाहिए कि इन चुनौतियों से निपटने में भारत की भूमिका क्या हो सकती है।
हम चाहते हैं कि बीएचयू नालंदा और तक्षशिला जैसा हो जाए। आज की मांग यह है कि न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भी हमारे संस्थानों को माने।
आपके भीतर के छात्र को कभी मरना नहीं चाहिए। उत्सुकता विकास की जड़ों को मजबूत बनाती है।
योग कोई नई चीज नहीं है। भारत में सदियों से योग की परंपरा चली आ रही है। दुनिया के अलग अलग कोने में योग को जिज्ञासा से देखा गया। पर हम उस मानसिकता में जीते थे कि हमें हमारे योग में सामर्थ्य नहीं लगता।
आपके भीतर का छात्र को कभी मरना नहीं चाहिए। उत्सुकता विकास की जड़ों को मजबूत बनाती है।
मैंने अतीत में ऐसी कई कार्यक्रमों में भाग लिया है लेकिन मैं जिस खास मौके पर यहां मौजूद हैं, वह वाकई मेरे लिए खास है।
मुझे यूनिवर्सिटी से चिट्ठी आई थी डॉक्टरेक्ट की लेकिन मैंने विनम्रतापूर्वक न कह दिया।