जल्लीकट्टू को लेकर मरीना बीच पर हजारों प्रदर्शनकारी एकजुट हुए (AFP)
चेन्नई:
हफ्ते भर चले विरोध प्रदर्शन के बीच सांडों के खेल जलीकट्टु से जुड़ा बिल तमिलनाडु विधानसभा में सर्वसम्मति पास हो गया है. वहीं सरकार ने पशुओं पर क्रूरता से जुड़े बिल में संशोधन किया गया है. हालांकि इससे पहले सोमवार को दिन पर तमिलनाडु की सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन होते रहे.
- मरीना बीच पर कई प्रदर्शनकारी जमे रहे और आइस हाउस पुलिस थाने पर हमला किया गया. चेन्नई में प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों में आग तक लगा दी. शाम के वक्त छात्र नेताओं ने साफ कि जो अब प्रदर्शन कर रहे हैं उनमें से कोई भी छात्र नहीं है.
- चेन्नई के साथ ही तमिलनाडु के अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन होता रहा. वहीं मदुरै के पास अलंगनल्लूर जहां रविवार को सीएम पन्नीरसेल्वम जल्लीकट्टू के उद्घाटन के लिए जाने वाले थे, वहां माहौल एकदम शांत है.
- पुलिस सुबह पांच बजे के करीब मरीना बीच पर पहुंची जहां से प्रदर्शनकारियों को हटने के लिए कहा गया. पुलिस ने अध्यादेश की कॉपी भी सामने रखी लेकिन प्रदर्शन करने वालों ने स्थायी समाधान की मांग करते हुए हिलने से मना कर दिया.
- बीच पर जहां पिछले हफ्ते से करीब 15 हज़ार लोग जमा हुए थे, उसे कुछ घंटों में साफ कर दिया गया. कुछ लोगों का कहना है कि पुलिस ने गर्भवती महिलाओं के साथ भी धक्का मुक्की की है.
- हालांकि इस आरोप का खंडन करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि 'हमने उनसे दो तीन बार हटने के लिए कहा. कुछ जाने के लिए तैयार थे लेकिन कइयों ने वक्त मांगा.'
- जल्लीकट्टू के समर्थकों पर पुलिस की कार्रवाई के बीच राज्य की लोकप्रिय हस्तियां जैसे कमल हासन, रजनीकांत और रेडियो जॉकी बालाजी ने भी विद्यार्थियों और युवाओं का समर्थन करते हुए कहा कि ‘विद्यार्थियों के शांतिपूर्ण विरोध पर आक्रामक पुलिसिया कार्रवाई के अच्छे नतीजें नहीं निकलेंगे.’ उन्होंने प्रदर्शनकारियों से हिंसा पर उतारू नहीं होने का आग्रह किया.
- सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के बाद रविवार को राज्य के कुछ इलाकों में जल्लीकट्टू का आयोजन किया गया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई.
- उधर तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विरोध पत्र भी दायर कर दिया है यानि अगर जल्लीकट्टू के अध्यादेश को किसी ने अदालत में चुनौती दी तो सुप्रीम कोर्ट को आदेश सुनाने से पहले राज्य सरकार का पक्ष भी सुनना होगा. राज्य सरकार को शक है कि पशु अधिकार कार्यकर्ता इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं इसलिए यह विरोध पत्र दर्ज करवाया गया है.
- राज्य सरकार, पशु अधिकारों से जुड़ी संस्था पेटा (People for the Ethical Treatment of Animals) पर भी प्रतिबंध लगाने को लेकर कानूनी रास्ते तलाश रही है. गौरतलब है कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने में पेटा का अहम रोल देखा जा रहा है. इस संस्था का आरोप है कि इस खेल के लिए सांडों को नशीले पदार्थ दिए जाते हैं और कभी कभी उनके चेहरे पर मिर्च भी डाली जाती है ताकि वह मैदान पर आक्रमक हो सकें.
- पेटा ने साफ किया है कि जल्लीकट्टू पर आने वाले अध्यादेश को वह कानूनी चुनौती देंगे. पोंगल के वक्त खेले जाने वाले इस खेल को पशु अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में बैन लगा दिया था. बाद में तमिलनाडु सरकार ने याचिका दायर की थी जिसमें फैसले की समीक्षा की बात कही गई थी लेकिन कोर्ट ने उसे भी अस्वीकार कर दिया था. यही नहीं पिछले साल केंद्र सरकार ने इस बाबत एक अधिसूचना जारी की थी जिस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था. सुप्रीम कोर्ट में जल्लीकट्टू मामले पर सुनवाई पूरी हो चकी है और केंद्र के कहने पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला एक हफ्ते के लिए टाल दिया था. (पढ़ें : सांडों का खेल, संविधान फेल : जल्लीकट्टू विवाद पर 10 अहम सवाल). (पढ़ें : क्या है जल्लीकट्टू का मतलब...तमिलनाडु का वह खेल जिसके लिए सड़कों पर उतरी है जनता)