फेसबुक के निजी डेटा का इस्तेमाल अवैध रूप से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किए जाने का खुलासा करने वाले क्रिस्टोफर वाइली ने बुधवार को कहा कि उसके पूर्व नियोक्ता कैंब्रिज एनालिटिका का भारत से संबंध है और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) समेत कुछ पार्टियों ने 'इच्छित नतीजे' पाने के लिए कंपनी की भारतीय इकाई से चुनावी अध्ययन करवाए थे. वाइली ने कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका के मातृ संगठन, एससीएल समूह का मुख्यालय गाजियाबाद के इंदिरापुरम में है और इसका क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, बेंगलुरू, कटक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोलकाता, पटना और पुणे में है. वाइली ने ट्वीट किया, "भारतीय पत्रकारों की तरफ से मेरे पास ढेर सारे अनुरोध आ रहे हैं. इसलिए यहां भारत में एससीएल की कुछ पिछली परियोजनाओं को पेश कर रहा हूं. सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न का जवाब यह है कि 'हां, एससीएल/सीए भारत में काम करती है और वहां उसके कार्यालय हैं.' यह आधुनिक उपनिवेशवाद जैसा है."
10 बातें
- क्रिस्टोफर वाइली ने इसके साथ दो तस्वीरें भी पोस्ट कीं, जो एससीएल इंडिया की पिच प्रजेंटेशन से संबंधित दस्तावेज हैं, जिसमें देश में इसके राष्ट्रीय अनुभवों के बारे में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि कंपनी का डेटाबेस 600 से ज्यादा जिलों और सात लाख गावों में है. लेकिन इस संबंध में डेटाबेस का कोई स्रोत या इसे किस सोशल मीडिया साइट्स से एकत्रित किया गया है, के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
- क्रिस्टोफर वाइली द्वारा दस्तावेज के अनुसार, "हमारे सूक्ष्म स्तर की सूचनाएं, जिसमें घरेलू स्तर की जनसांख्यिकी, जातीय डेटा पर विशेष तौर पर केंद्रित होती है और यह ऑनलाइन मैपिंग एप्लिकेशन से जुड़ा होता है." ट्वीट किए गए दस्तावेज के अनुसार, एससीएल इंडिया ने अपने ग्राहकों को 'इच्छित नतीजे प्राप्त करने के लिए एक खास आबादी के लोगों के व्यवहार को प्रभावित करने के लिए' लक्षित समूहों की पहचान कराने में मदद की.
- इसमें विस्तृत तौर से बताया गया है कि एससीएल ने अपने ग्राहकों को एक अध्ययन मुहैया कराया, जिससे सही संचार माध्यमों से सही श्रोतों के माध्यम से सही संदेश पहुंचाया और विकसित किया जा सके. दस्तावेज में बताया गया है कि एससीएल इंडिया ने घरों में जातीयता की पहचान के लिए राज्यव्यापी अध्ययन अभियान चलाया.
- वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान, एससीएल इंडिया ने कई लोकसभा सदस्यों के अभियानों को संभाला था. वर्ष 2010 के बिहार चुनाव में, एससीएल इंडिया को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जद (यू) के लिए चुनावी अध्ययन और रणनीति तैयार करने के लिए कहा गया था. दस्तावेज के अनुसार, "एससीएल ने अपने ग्राहकों के लिए 75 प्रतिशत घरों को लक्ष्य करके व्यवहारिक अध्ययन कार्यक्रम चलाया. इससे न केवल सही चुनावी क्षेत्र की पहचान की गई, बल्कि सही श्रोता, संदेश और सबसे महत्वपूर्ण अभियानों में सही जातियों को लक्षित कर अभियान चलाने में सहायता मिली."
- वर्ष 2007 के उत्तर प्रदेश चुनाव में, एससीएल इंडिया ने एक 'बड़ी पार्टी' की ओर से पूरा राजनीतिक सर्वेक्षण करवाया था. दस्तावेज में हालांकि उस पार्टी का नाम नहीं बताया गया है. वाइली के दस्तावेज में जातिगत जनगणना और एक राष्ट्रीय पार्टी की तरफ से 2011-12 में उत्तर प्रदेश में चलाए गए जाति शोध अभियानों का भी जिक्र है. इसमें दावा किया गया है कि शोध में जातिगत ढांचे का विश्लेषण शामिल था ताकि पार्टी के मूल मतदाताओं के साथ- साथ स्विंग वोटर्स: ढुलमुल मतदाता: की पहचान की जा सके.
- दस्तावेज के अनुसार, एससीएल इंडिया ने वर्ष 2003 में राजस्थान में राज्य की बड़ी पार्टी के लिए अध्ययन करवाया. एससीएल ने अपनी एक अलग योजना में दिल्ली व छत्तीसगढ़ में चुनाव विश्लेषण संबंधी और व्यवहारिक अध्ययन करवाया.
- दस्तावेज के अनुसार, एससीएल ने वर्ष 2007 में केरल, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में अपनी परियोजना चलाई थी. कैंब्रिज एनलिटिका में शोध निदेशक रह चुके वाइली(28) ने आरोप लगाया है कि सीए ने ब्रिटेन में वर्ष 2016 में हुए ब्रेक्सिट जनमत संग्रह और 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे को प्रभावित किया.
- एससीएल की भारत से संबंधित सामग्री में दावा किया गया है, ‘‘ हमारी सेवाएं ग्राहकों को आबादी के भीतर महत्वपूर्ण समूहों की पहचान करने और उन्हें लक्षित करने में मदद करती हैं, ताकि वांछित नतीजा पाने के लिये उनके व्यवहार को प्रभावित किया जा सके.’’
- फेक न्यूज मामले में हाउस ऑफ कॉमन्स कमेटी द्वारा की जा रही जांच संसद का ईस्टर का अवकाश समाप्त होने के बाद फिर से बहाल होगी. उस दौरान फेसबुक के एक वरिष्ठ अधिकारी के इस बारे में साक्ष्य देने की उम्मीद है कि क्या सोशल मीडिया कंपनी को सीए द्वारा उसके डाटा के कथित दुरुपयोग की जानकारी थी.
- ब्रिटेन के सांसद से वाइली ने मंगलवार को कहा था कि कैंब्रिज एनलिटिका ने भारत में काफी काम किया है और उन्हें विश्वास है कि कांग्रेस इसका एक ग्राहक रह चुकी है.