नई दिल्ली:
नेशनल हेराल्ड विवाद को लेकर कांग्रेस सांसदों ने संसद के अंदर जो तेवर अपनाया, उससे साफ हो गया कि सरकार और विपक्ष के बीच की जो दूरी प्रधानमंत्री पाटना चाहते हैं, वह संभव नहीं। इस विवाद की धुंध पूरे शीतकालीन सत्र में छाये रहने की आशंका है और जीएसटी बिल भी इसकी भेंट चढ़ सकती है।
नेशनल हेराल्ड विवाद की दस खास बातें
- पं. जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में लखनऊ में नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना की थी।
- पैसों की दिक्कत की वजह से साल 2008 में अखबार बंद हो गया। तब हेराल्ड का मालिकाना हक द एसोसिएट जर्नल्स के पास था।
- साल 2011 में एसोसिएट जनर्ल्स की 90 करोड़ की देनदारी को कांग्रेस ने अपने जिम्मे ले लिया। इसके लिए कांग्रेस ने उसे 90 करोड़ का लोन दिया।
- इसके बाद 5 लाख रुपए में यंग इंडिया नाम से एक नई कंपनी बनाई गई, जिसमें राहुल और सोनिया गांधी की 38-38 फीसदी और बाकी 24 फीसदी हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस के पास होती है।
- इसके बाद एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के 10 रुपए मूल्य के 9 करोड़ शेयर यंग इंडिया कंपनी को दे दिए गए। ये शेयर 90 करोड़ लोन के एवज में दिए गए।
- इन 9 करोड़ शेयर की वजह से यंग इंडिया की भागीदारी एसोसिएट जर्नल्स में 99 फीसदी हो गई।
- इसके बाद कांग्रेस ने एसोसिएट जर्नल्स का 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया। इससे यंग इंडिया कंपनी को मुफ्त में ही एसोसिएट जर्नल्स का मालिकाना हक मिल गया।
- इस मामले में सुब्रमण्यम स्वामी ने 90 करोड़ के हवाला कारोबार का शक जताते हुए राहुल, सोनिया और कांग्रेस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उनका आरोप है कि 1600 करोड़ की कीमत वाली हेराल्ड हाउस को हथियाने के लिए यह सब किया गया।
- स्वामी का यह भी आरोप है कि साजिश के तहत यंग इंडिया लिमिटेड को एसोसिएट जर्नल्स की संपत्ति का मालिकाना हक दिया गया।
- हेराल्ड हाउस में अभी पासपोर्ट का दफ्तर है। इसे लेकर स्वामी का आरोप है कि केंद्र ने अखबार चलाने के लिए जमीन दी थी, न कि कोई बिजनेस करने के लिए...