क्यों भगवान गणेश को सबसे पहले पूजा जाता है?
नई दिल्ली:
हर शुभ काम की शुरूआत भगवान को याद करके की जाती है. काम में बाधा ना आए इसके लिए पूजा, आराधना, अनुष्ठान किया जाता है. इस पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश को पूजा जाता है. पंडित किसी भी काम का शुभारंभ करते समय सर्वप्रथम श्रीगणेशाय नम: लिखते हैं. यानी हर अच्छे काम की शुरूआत भगवान गणेश का नाम लेकर ही की जाती है. लेकिन ऐसा क्यों? सभी पुराने रिवाज़ों को मानते आ रहे हैं कि सबसे पहले भगवान गणेश जी को पूजा जाता है, लेकिन ऐसा क्यों होता है इसका जवाब बहुत कम ही लोग जानते हैं? अगर आप भी उन्हीं में से एक हैं तो पढ़िए ये कहानी.
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एक बहुत ही प्रचलित कथा के अनुसार एक बार सभी देवताओं में इस बात को लेकर विवाद हुआ कि सबसे पहले किस भगवान को पूजा जाए. क्योंकि सभी देवताओं के अपने महत्व और कार्य हैं. ऐसे में कौन-सा देवता सर्वप्रथम पूजा जाए इस बात चर्चा सभी भगवानों के बीच हुई और हर कोई खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने लगे. इसी समय नारद जी प्रकट हुए और उन्होंने सभी देवताओं को भगवान शिव से इस प्रश्न का जवाब मांगने की सलाह दी.
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सभी देवता भगवान शिव के समीप पहुंचे और अपना पक्ष रखने लगे. इस झगड़े को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने एक योजना बनाई और प्रतियोगिता का आयोजन किया. शिव जी ने कहा कि जो भी देवता इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर सर्वप्रथम मेरे पास पहुंचेगा वही विजयी होगा और उसे ही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा.
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ये बात सुनकर सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर बैठकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने निकल गए. गणेश जी ने भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. जब सभी देवता ब्रह्माण्ड का चक्कर लगा रहे थे तभी गणेश ने अपनी सूझबूझ से माता-पिता शिव-पार्वती के सात चक्कर लगा लिये.
सभी देवगण जब ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर भगवान शिव-पार्वती के पास पहुंचे, तब तक गणेश जी को प्रतियोगिता का वियजी घोषित कर दिया था. इस बात को सुनकर सभी देवता और गणेश जी के भाई कार्तिक अचंभित हुए. सबने कारण जानना चाहा. इसपर भगवान शिव ने सभी को बताया कि इस संसार में माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड एवं लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है. माता के चरणों में ही समस्त संसार का वास होता है. इसी वजह से गणेश ने अपने माता-पिता के ही चक्कर लगाए और इस प्रतियोगिता में विजयी हुए. तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा.
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सभी देवता भगवान शिव के समीप पहुंचे और अपना पक्ष रखने लगे. इस झगड़े को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने एक योजना बनाई और प्रतियोगिता का आयोजन किया. शिव जी ने कहा कि जो भी देवता इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर सर्वप्रथम मेरे पास पहुंचेगा वही विजयी होगा और उसे ही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा.
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