Ganesh Chaturthi 2020: भारत में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान के नाम के साथ ही की जाती है. ये पूजा इसलिए की जाती है ताकि काम में किसी भी प्रकार की बाधा न आए. इस तरह की सभी पूजा या फिर शुभ कार्यों की शुरुआत भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा के साथ होती है. पंडित किसी भी काम का शुभारंभ करते वक्त सबसे पहले श्रीगणेशाय नम: लिखते हैं. इसका मतलब है कि अच्छे काम की शुरआत भगवान गणेश (Vianayaka Chaturthi 2020) का नाम लेकर ही की जाती है. लेकिन ऐसा क्यों है? अगर आप भी नहीं जानते कि भगवान गणेश के नाम के साथ ही किसी भी काम की शुरुआत क्यों की जाती है तो कोई बात नहीं क्योंकि हम आपको यहां बताने वाले हैं.
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क्या है भगवान गणेश को सबसे पहले पूजने का कारण?
दरअसल, एक बहुत ही प्रचलित कथा के मुताबिक, सभी देवताओं में एक बार इस बात को लेकर विवाद हुआ कि सबसे पहले किस भगवान की पूजा की जानी चाहिए क्योंकि सभी देवताओं के अपने महत्व और कार्य हैं. ऐसे में कौन-सा देवता सर्वप्रथम पूजा जाए इस बात पर सभी भगवानों के बीच चर्चा हुई और हर कोई खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने लगे. तभी नारद मुनी प्रकट हुए और उन्होंने देवताओं को भगवान शिव से इस सवाल का जवाब मांगने की सलाह दी.
Ganesh Chaturthi 2020: क्यों हर शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणपति से की जाती है? यहां जानें वजह
सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और अपना पक्ष रखा. इस झगड़े को खत्म करने के लिए भगवान शिव ने एक योजना बनाई और प्रतियोगिता का आयोजन किया. शिव जी ने कहा कि जो भी देवता इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर सबसे पहले मेरे पास पहुंचेगा वही, विजयी होगा और उसे ही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा.
इस बात को सुन सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर सवार हो कर ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने निकल गए. गणेश जी ने भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. सभी देवी-देवता जब ब्रह्माण्ड के चक्कर लगा रहे थे तभी गणेश जी को एक तरकीब सूझी और उन्होंने फटाफट अपने माता-पिता के सात चक्कर लगा लिए.
सभी देवगण ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर जब तक भगवान शिव-पार्वती के पास पहुंचे, तब तक गणेश जी प्रतियोगिता जीत चुके थे. इस बात को सुनकर सभी देवता और गणेश जी के भाई कार्तिक अचंभित हो गए. सबने इसका कारण बताने के लिए कहा. तब भगवान शिव ने कहा, इस संसार में माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड और लोक में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है. माता के चरणों में ही समस्त संसार का वास होता है. इस कारण से गणेश जी ने अपने माता-पिता का ही चक्कर लगाया और इस प्रतियोगिता में जीत गए.
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