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This Article is From Apr 29, 2023

यहां जानिए पंचांग के अनुसार Nirjala Ekadashi व्रत की सही तारीख शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हम आपको यहां पर पंचांग (Panchang date of ekadashi vrat 2023) के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत की सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, ताकि आपसे इस महत्वपूर्ण उपवास में किसी तरह की भूल ना हो.

यहां जानिए पंचांग के अनुसार Nirjala Ekadashi व्रत की सही तारीख शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Ekadashi vrat puja vidhi : एकादशी व्रत की पूजा के बाद कलश के जल से पीपल को जल देना चाहिए.

Nirjala Ekadashi date 2023 : हिन्दू धर्म में खास महत्व रखने वाला निर्जला एकादशी व्रत की तारीख को लेकर लोग इस बार कंफ्यूज हैं. कोई कह रहा है 30 मई तो कोई 31 मई, जिसके चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में हम आपको यहां पर पंचांग (Panchang date of ekadashi vrat 2023) के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत की सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, ताकि आपसे इस महत्वपूर्ण उपवास में किसी तरह की भूल ना हो.

निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त और तारीख

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि दिन मंगलवार यानी 30 मई को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर शुरू हो रही है, जो अगले दिन बुधवार 31 को मई को 01 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी. इस लिहाज से यह उपवास 31 को रखा जाएगा. वहीं, इस व्रत के पारण का समय सुबह 05 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 10 मिनट तक होगा. 

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निर्जला एकादशी पूजा विधि

  • निर्जला एकादशी का व्रत रखने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौच-स्नान आदि से निवृत हो लिया जाता है. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा पूरे भक्ति भाव से करनी चाहिए.

  • इस व्रत में महिलाएं  पूर्ण श्रृंगार और मेंहदी लगाती हैं. व्रत के दौरान पूरे दिन भगवान विष्णु का नाम लेना चाहिए. एकादशी के दिन सोना निषेध माना गया है.

  • एकादशी व्रत की पूजा के बाद कलश के जल से पीपल को जल देना चाहिए. दूसके दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु और पीपल के नीचे दीपक जलाना चाहिए.

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  • इसके बाद ब्रह्मणों को भोजन कराने के बाद दान-दक्षिणा देना चाहिए. इस दिन दान में जल से भरा घड़ा, अन्न, वस्त्र, छाता, पान, शैय्या, आसन, पंखा सोना और गोदान करना चाहिए.

  • निर्जला एकादशी के दिन वैसे तो सभी को दान करना अच्छा माना गया है, लेकिन व्रती को इस दिन सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, जल, जूता, आसन, पंखा, छतरी और फल इत्यादि का दान करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन जल से भरे कलश का दान करने से बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है.   

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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