मणिमहेश झील, हिमाचल प्रदेश (फोटो साभार: manimahesh.net.in)
शिमला:
हिमाचल प्रदेश में 15 दिनों तक चलने वाली मणिमहेश झील की तीर्थयात्रा 25 अगस्त से शुरू होगी। यह स्थल भगवान शिव से संबंधित है और इस यात्रा में करीब दो लाख श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है।
यहां से दिखता है कैलाश पर्वत...
अंडाकार मणिमहेश झील चंबा जिले के भरमौर इलाके में 13,500 फीट की उंचाई पर स्थित है, जहां से श्रद्धालु कैलाश पर्वत को देख सकते हैं और पूजा करते हैं। माना जाता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है।
अमरनाथ यात्रा के समान कठिन है यह तीर्थयात्रा...
उपायुक्त सुदेश मोख्ता ने आईएएनएस से कहा, "श्रद्धालुओं को टेंट में ठहरने की सारी व्यवस्थाएं पूरी हो चुकी हैं। पवित्र झील तक जाने के मार्ग में विशेष चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए हैं।" कश्मीर में पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा के समान इस तीर्थयात्रा को कठिन माना जाता है। इस यात्रा का समापन 9 सितम्बर को होगा।
पहला पवित्र स्नान कृष्ण जन्माष्टमी को...
झील में पहला पवित्र स्नान कृष्ण जन्माष्टमी (25 अगस्त) को होगा और दूसरा तथा अंतिम स्नान राधाष्टमी पर (9 सितम्बर) को होगा। राज्य सरकार ने यात्रियों को ले जाने के लिए एक निजी हेली टैक्सी संचालक को अनुमति दी है। हेलीकॉप्टर लोगों को आधार शिविर भरमौर से पवित्र झील से एक किलोमीटर पीछे गौरीकुंड तक ले जाएगा। एक बार ले जाने का प्रति व्यक्ति किराया 2010 रुपये है।
6000 फीट की उंचाई से शुरू होती है पैदल तीर्थयात्रा...
पैदल तीर्थयात्रा चंबा जिले के 6000 फीट की उंचाई पर स्थित हदसार गांव से शुरू होगी और 14 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद 13,500 फीट की उंचाई पर स्थित पवित्र झील के पास समाप्त होगी।
जब भगवान शिव होते हैं प्रसन्न...
श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान शिव जब प्रसन्न होते हैं तब कैलाश पर्वत का दर्शन होता है, अन्यथा केवल बादल ही दिखते हैं। हदसार पठानकोट से 215 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पठानकोट रेललाइन से जुड़ा हुआ है।
यहां से दिखता है कैलाश पर्वत...
अंडाकार मणिमहेश झील चंबा जिले के भरमौर इलाके में 13,500 फीट की उंचाई पर स्थित है, जहां से श्रद्धालु कैलाश पर्वत को देख सकते हैं और पूजा करते हैं। माना जाता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है।
अमरनाथ यात्रा के समान कठिन है यह तीर्थयात्रा...
उपायुक्त सुदेश मोख्ता ने आईएएनएस से कहा, "श्रद्धालुओं को टेंट में ठहरने की सारी व्यवस्थाएं पूरी हो चुकी हैं। पवित्र झील तक जाने के मार्ग में विशेष चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए हैं।" कश्मीर में पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा के समान इस तीर्थयात्रा को कठिन माना जाता है। इस यात्रा का समापन 9 सितम्बर को होगा।
पहला पवित्र स्नान कृष्ण जन्माष्टमी को...
झील में पहला पवित्र स्नान कृष्ण जन्माष्टमी (25 अगस्त) को होगा और दूसरा तथा अंतिम स्नान राधाष्टमी पर (9 सितम्बर) को होगा। राज्य सरकार ने यात्रियों को ले जाने के लिए एक निजी हेली टैक्सी संचालक को अनुमति दी है। हेलीकॉप्टर लोगों को आधार शिविर भरमौर से पवित्र झील से एक किलोमीटर पीछे गौरीकुंड तक ले जाएगा। एक बार ले जाने का प्रति व्यक्ति किराया 2010 रुपये है।
6000 फीट की उंचाई से शुरू होती है पैदल तीर्थयात्रा...
पैदल तीर्थयात्रा चंबा जिले के 6000 फीट की उंचाई पर स्थित हदसार गांव से शुरू होगी और 14 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद 13,500 फीट की उंचाई पर स्थित पवित्र झील के पास समाप्त होगी।
जब भगवान शिव होते हैं प्रसन्न...
श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान शिव जब प्रसन्न होते हैं तब कैलाश पर्वत का दर्शन होता है, अन्यथा केवल बादल ही दिखते हैं। हदसार पठानकोट से 215 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पठानकोट रेललाइन से जुड़ा हुआ है।
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