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ज्येष्ठ माह का 4 मंगल आज, ये 5 काम बिल्कुल न करें, नाराज हो सकते हैं बजरंगबली

आज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर है. यह तिथि 2 जून को रात 8:35 मिनट से शुरू हुई है जो 3 जून यानी आज की रात 9:56 मिनट तर रहेगी. इस दिन आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो हनुमान जी नाराज हो सकते हैं...

ज्येष्ठ माह का 4 मंगल आज, ये 5 काम बिल्कुल न करें, नाराज हो सकते हैं बजरंगबली
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप । राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।

Bada mangal ko kya na karen : आज ज्येष्ठ माह का चौथा मंगल है. ऐसे में सुबह से ही हनुमान मंदिरों में भक्तों की भीड़ दर्शन-पूजन के लिए लगी हुई है. मान्यता है बजरंगबली का सच्चे मन से पूजा और व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, क्योंकि बड़े मंगल के दिन हनुमान जी धरती पर विचरण करते हैं. साथ ही यह भी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से राहु, केतु, शनि, मंगल दोष,पितृदोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही इस दिन आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो हनुमान जी नाराज हो सकते हैं...

Bada mangal 2025 : ज्येष्ठ माह का चौथा बड़ा मंगल आज, इन कामों से पाएं हनुमान जी का आशीर्वाद

बड़े मंगल को क्या न करें - What not to do on Bada Mangal

  • इस दिन आपको घर में नमक, लहसुन, प्याज और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. सात्विक भोजन करना चाहिए. 
  • इस दिन आपको किसी से पैसे उधार नहीं लेने चाहिए. धन के लेन देन के लिए यह दिन अच्छा नहीं माना जाता है. 
  • क्योंकि ऐसी मान्यता है मंगलवार के दिन किसी से पैसे उधार लेने पर पैसे वापस नहीं मिलते हैं. साथ ही इस दिन आप किसी को अपशब्द न बोलें न ही गुस्सा करें. 
  • इस दिन स्त्रियों को हनुमान जी की प्रतिमा को स्पर्श नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसा माना जाता है हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं. 
  • वहीं, हनुमान जी की साधना में ब्रह्मचर्य का पालन बहुत जरूरी है. इस दिन आपको कामुकता से बचना चाहिए. कांच, काले रंग के कपड़े या श्रृंगार का सामान भी न खरीदें.

इस दिन आप हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें-

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ।।

।। चौपाई ।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।।
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै । कांधे मूंज जनेउ साजै ।।
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन । तेज प्रताप महा जगवंदन ।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।
भीम रूप धरि असुर संहारे । रामचन्द्र के काज संवारे ।।
लाय सजीवन लखन जियाए । श्री रघुबीर हरषि उर लाये ।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते । कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना । राम मिलाय राज पद दीह्ना ।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना । लंकेश्वर भए सब जग जाना ।।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ।।
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ।।
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हांक तै कांपै ।।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै । महावीर जब नाम सुनावै ।।
नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
संकट तै हनुमान छुडावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।।
सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ।।
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ।।
साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
अंतकाल रघुवरपुर जाई । जहां जन्म हरिभक्त कहाई ।।
और देवता चित्त ना धरई । हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ।।
जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मह डेरा ।।

।। दोहा ।।
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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