महाशिवरात्रि 2018: महाशिवरात्रि पर होगा केदारनाथ के कपाट खुलने का दिन तय
महाशिवरात्रि पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं. मंदिरों में और बाजारों में अभी से भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है. भक्तगण भोले जी को मनाने के लिए बाजार से सामान खरीदना शुरू कर चुके हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि शिवजी के रूप शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है? क्या ये दोनों एक ही हैं या फिर दोनों का महत्व अलग-अलग है. आइए आपको बताते हैं:
शिवपुराण की एक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी में इस बता को लेकर विवाद हुआ कि दोनों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है, ऐसे में दोनों का भ्रम समाप्त करने के लिए शिवजी एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए, जिसकी थाह ये दोनों देव नहीं पा सके. इसी को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. वहीं लिंग का अर्थ है प्रतीक यानी शिव के ज्योति रुप में प्रकट होने और सृष्टि के निर्माण का प्रतीक. ज्योतिर्लिंग सदैव स्वयंभू होते हैं जबकि शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित और स्वयंभू दोनों हो सकते है.
शिवपुराण की एक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी में इस बता को लेकर विवाद हुआ कि दोनों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है, ऐसे में दोनों का भ्रम समाप्त करने के लिए शिवजी एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए, जिसकी थाह ये दोनों देव नहीं पा सके. इसी को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. वहीं लिंग का अर्थ है प्रतीक यानी शिव के ज्योति रुप में प्रकट होने और सृष्टि के निर्माण का प्रतीक. ज्योतिर्लिंग सदैव स्वयंभू होते हैं जबकि शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित और स्वयंभू दोनों हो सकते है.
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हिन्दू धर्मग्रंथों में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख मिलता है. जहां-जहां ये शिव ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, आज वहां भव्य शिव मंदिर बने हुए है. वर्तमान में भारत के प्रमुख तीर्थस्थान और धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध इन 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन शिव पुराण की 'रुद्रसंहिता' में मिलता है.
ये है ज्योतिर्लिंग स्तुति मंत्र
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्. उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्॥
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकियां भीमशंकरम्. वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे॥
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने. सेतूबन्धे च रामेशं घुश्मेशंच शिवालये॥
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत्. सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
यं यं काममपेक्ष्यैव पठिष्यन्ति नरोत्तमाः. तस्य तस्य फलप्राप्तिर्भविष्यति न संशयः॥
यहां-यहां स्थित हैं ज्योतिर्लिंग मंदिर
सोमेश्वर या सोमनाथ : यह प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जो गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में अवस्थित है. इसे प्रभास तीर्थ भी कहते हैं.
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन : यह आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है. इसे दक्षिण का कैलाश भी माना गया है.
महाकालेश्वर : यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है. इसे प्राचीनकाल में अवन्तिका या अवंती कहा जाता था.
ओंकारेश्वर : यह ज्योतिर्लिंग भी मध्य प्रदेश में है. राज्य के मालवा क्षेत्र में स्थित यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर अवस्थित है.
ये है ज्योतिर्लिंग स्तुति मंत्र
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्. उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्॥
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकियां भीमशंकरम्. वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे॥
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने. सेतूबन्धे च रामेशं घुश्मेशंच शिवालये॥
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत्. सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
यं यं काममपेक्ष्यैव पठिष्यन्ति नरोत्तमाः. तस्य तस्य फलप्राप्तिर्भविष्यति न संशयः॥
यहां-यहां स्थित हैं ज्योतिर्लिंग मंदिर
सोमेश्वर या सोमनाथ : यह प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जो गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में अवस्थित है. इसे प्रभास तीर्थ भी कहते हैं.
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन : यह आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है. इसे दक्षिण का कैलाश भी माना गया है.
महाकालेश्वर : यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है. इसे प्राचीनकाल में अवन्तिका या अवंती कहा जाता था.
ओंकारेश्वर : यह ज्योतिर्लिंग भी मध्य प्रदेश में है. राज्य के मालवा क्षेत्र में स्थित यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर अवस्थित है.
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केदारेश्वर : यह शिव ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर विराजमान श्री केदारनाथजी या केदारेश्वर के नाम से विख्यात है. श्री केदार पर्वत शिखर से पूर्व में अलकनन्दा नदी के किनारे भगवान बद्रीनाथ का मन्दिर है.
भीमाशंकर : महाराष्ट्र में स्थित है यह ज्योतिर्लिंग भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं. भीमा नदी इसी पर्वत से निकलती है.
विश्वेश्वर : वाराणसी या काशी में विराजमान भूतभावन भगवान श्री विश्वनाथ या विश्वेश्वर महादेव को सातवां ज्योतिर्लिंग माना गया है.
त्र्यम्बकेश्वर : भगवान शिव का यह आठवां ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि के पास गोदावरी नदी के किनारे स्थापित है.
वैद्यनाथ महादेव : इसे बैजनाथ भी कहते हैं. यं नौवां ज्योतिर्लिंग है, जो झारखण्ड राज्य देवघर में स्थापित है. इस स्थान को चिताभूमि भी कहा गया है.
नागेश्वर महादेव : भगवान शिव का यह दसवां ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है. इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है. इस ज्योतिर्लिंग लेकर कुछ विवाद भी है. अनेक लोग दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं.
रामेश्वरम : श्री रामेश्वर एकादशवें ज्योतिर्लिंग है. इस तीर्थ को सेतुबन्ध तीर्थ कहा गया है. यह तमिलनाडु में समुद्र के किनारे स्थपित है.
घुष्मेश्वर : इस द्वादशवें ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर या घुसृणेश्वर के नाम से भे जाना जाता है. यह महाराष्ट्र राज्य में दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास स्थित है.
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भीमाशंकर : महाराष्ट्र में स्थित है यह ज्योतिर्लिंग भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं. भीमा नदी इसी पर्वत से निकलती है.
विश्वेश्वर : वाराणसी या काशी में विराजमान भूतभावन भगवान श्री विश्वनाथ या विश्वेश्वर महादेव को सातवां ज्योतिर्लिंग माना गया है.
त्र्यम्बकेश्वर : भगवान शिव का यह आठवां ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि के पास गोदावरी नदी के किनारे स्थापित है.
वैद्यनाथ महादेव : इसे बैजनाथ भी कहते हैं. यं नौवां ज्योतिर्लिंग है, जो झारखण्ड राज्य देवघर में स्थापित है. इस स्थान को चिताभूमि भी कहा गया है.
नागेश्वर महादेव : भगवान शिव का यह दसवां ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है. इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है. इस ज्योतिर्लिंग लेकर कुछ विवाद भी है. अनेक लोग दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं.
रामेश्वरम : श्री रामेश्वर एकादशवें ज्योतिर्लिंग है. इस तीर्थ को सेतुबन्ध तीर्थ कहा गया है. यह तमिलनाडु में समुद्र के किनारे स्थपित है.
घुष्मेश्वर : इस द्वादशवें ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर या घुसृणेश्वर के नाम से भे जाना जाता है. यह महाराष्ट्र राज्य में दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास स्थित है.
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