Vat Savitri vrat 2022: ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले व्रतों में वट सावित्री व्रत (Vat Savitri vrat) को बेहद प्रभावशाली माना जाता है. वट सावित्री (Vat Savitri) के व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं . इसके साथ ही पति की लंबी आयु और हर प्रकार की सुख-समृद्धि की कामना भी करती हैं. मान्यता है कि इस दिन महिलाएं वट वृक्ष में धूप, दीप और जल अर्पित करती हैं, साथ ही रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष में कलावा बांधती हैं और हाथ जोड़कर वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं. इस साल वट सावित्री ( Vat Savitri 2022) 30 मई 2022 को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं वट सावित्री व्रत से जुड़ी कथा.
वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha)
पैराणिक कथा के अनुसार, राजा अश्वपति को सिर्फ एक बेटी थी. जिसका नाम सावित्री (Savitri) था. सावित्री जब विवाह के योग्य हुईं तो उनकी शादी सत्यवान (Satyavan) से हुई. विवाह के उपरांत दोनों का जीवन सुखमय बीत रहा था. एक दिन उनसे महल में नारद जी पधारे. कुछ समय बातचीत के उपरांत उन्होंने बताया कि सत्यवान की उम्र कम है. इस हृदय विदारक अशुभ समाचार को सुनकर भी सावित्री (Savitri) हिम्मत नहीं हारीं. और सत्यवान के साथ भगवान की उपासना करने लगीं. वह महलों का सुख त्यागकर जंगल में रहने लगीं. साथ ही पति की सेवा करते हुए अपना समय बिता रही थीं. इस क्रम में एक दिन सत्यवान (Satyavan) जंगल में मूर्छित हो गए. सावित्री (Savitri) समझ गईं कि यमराज उनके पति के प्राण हरने आ गए हैं. वह लगातार तीन दिन तक बिना कुछ खाए-पीए उपवास करती रही और यमराज से विनती करने लगी कि उसके पति के प्राण छोड़ दें. सावित्री की विनती पर भी यमराज नहीं माने तो वह यमराज के पीछे जाने लगीं. कई बार मना करने पर भी वह नहीं मानीं तो सावित्री के साहस और त्याग से प्रसन्न हुए और सावित्री को कोई 3 वरदान मांगने के लिए कहा. जिसके बाद सावित्री में पहला वरदान मांगा कि सत्यवान के माता-पिता की आखों की रोशनी वापस मिल जाए. दूसरे वरदान के तौर सावित्री ने सत्यवान के माता-पिता से छिना हुआ राज्य मांगा. इसके अलावा खुद के लिए 100 पुत्रों का वरदान मांगा. यमराज ने तथास्तु कहा और इस बात को समझ गए कि सावित्री के पति को ले जाना संभव नहीं है इसलिए वे सावित्री को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दे दिया. कहा जाता है कि उस समय सावित्री अपने पति को लेकर जंगल में वट वृक्ष के नीचे रहती थी. इस वजह से इस दिन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र की कामना करते वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं. साथ ही वृक्ष में लाल धागा बांधकर उसमेंजल अर्पित करती हैं.
वट सावित्री के दिन बन रहा है खास संयोग
हिंदी पंचांग के मिताबिक इस बान वट सावित्री व्रत के दिन सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सोमवार के पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं. माना जा रहा है कि यह साल की आखिरी अमावस्या भी होगी. इसके बाद अगले साल ही सोमवती अमावस्या का संयोह बने गा. वट सावित्री व्रत के दिन महिआएं करवा चौथ की तरह ही व्रत रखती हैं. सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान और पितरों की पूजा का विधान है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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