Vaishakh Amavasya: वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya) के दिन पितरों को तर्पण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. 20 अप्रैल वैशाख अमावस्या के साथ सूर्य ग्रहण भी है. साल के दूसरे माह के अमावस्या को वैशाख अमावस्या कहते हैं. इस दिन नदी में स्नान से जातक को बहुत लाभ होता है.सभी तरह की परेशानियों और कष्टों का निवारण होता है. इस दिन पितरों के लिए दान करने की भी परंपरा है. हालांकि सूर्य ग्रहण (Solar eclipse) के दिन पितरों (Ancestors) नाम पर दान करना शुभ नहीं होता है. वर्ष के पहले सूर्य ग्रहण का असर भारत में देखने नहीं मिलेगा इसलिए देश में दोष मान्य नहीं होगा.
पूजन विधि
वैशाख अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए. आंख खुलते ही प्रभु का स्मरण चाहिए. घर की साफ सफाई के बाद गंगा जल से घर को पवित्र करें. इसके बाद विधि विधान से पूजा पाठ करें. पूजा के बाद पितरों के लिए दान दक्षिणा व ब्राम्हणों को भोजन करवाएं.
सूर्य ग्रहण का दोष मान्य नहीं
गुरुवार को इस वर्ष का प्रथम सूर्य ग्रहण है. ग्रहण काल सुबह सात बजकर चार मिनट से दोपहर बारह बजकर उन्तीस मिनट तक है. यह ग्रहण भारत में नजर नही आने वाला है इसलिए दोष मान्य नहीं है.
सात्विक भोजन
इस दिन विधि विधान से पूजा पाठ करने से दोषों से मुक्ति संभव है. इस दिन मांस मदिरा के सेवन से दूर रहना चाहिए और सात्विक भोजन करना चाहिए.
शनि जयंती
दक्षिणी भारत में इस दिन शनि जयंती मनाने की परंपरा है. इस दिन शनिदेव पर तेल, काले तिल, फूल चढ़ाया जाते हैं. सुबह पीपल के वृक्ष को पानी देना चाहिए और शाम में घी के दीप से आरती करनी चाहिए.
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