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This Article is From Nov 15, 2023

Tulsi Vivah 2023: कब है तुलसी विवाह, यहां जानिए तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और महत्व

Tulsi Vivah Date: तुलसी विवाह के दिन सूर्यास्त के बाद भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से तुलसी का विवाह कराया जाता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह से विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं.

Tulsi Vivah 2023: कब है तुलसी विवाह, यहां जानिए तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और महत्व
Tulsi Vivah 2023: तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विवाह किया जाता है.

Tulsi Vivah 2023: पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रदोष काल में होता है. देव उठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन होता है. कई बार तिथियों की गणना के आधार पर एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह का संयोग बन जाता है. द्वादशी तिथि को सूर्यास्त के बाद भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के शालिग्राम रूप से तुलसी का विवाह कराया जाता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह से विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं. आइए जानते हैं कब है तुलसी विवाह, तुलसी विवाह का मुहूर्त और तुलसी विवाह का महत्व.

कब है तुलसी विवाह | Tulsi Vivah Date 

इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट से शुरु होकर 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट तक है. इसलिए उदयातिथि और प्रदोष काल के अनुसार तुलसी विवाह 24 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा.

तुलसी विवाह का मुहूर्त और योग

तुलसी विवाह का आयोजन प्रदोष काल में होता है. इस बार तुलसी विवाह के दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रहा है. तुलसी विवाह का मुहूर्त (Tulsi Vivah Muhurt) 5 बजकर 25 मिनट के बाद शुरू होगा. इस साल तुलसी विवाह के दिन तीन योग बन रहे हैं.

  • सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन
  • अमृत सिद्धि योग- सुबह 6 बजकर 51 मिनट से शाम 4 बजकर 1 मिनट तक
  • सिद्धि योग- प्रात: काल से सुबह से 9 बजकर 5 मिनट तक
तुलसीविवाह का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, असुरों के राजा जलंधर की पत्नी वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी. जलंधर के वध के लिए भगवान विष्णु को वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करना पड़ा. जलंधर की मृत्यु के बाद वृंदा ने शरीर त्याग दिया. वृंदा ने जहां अपना शरीर त्यागा, वहां तुलसी का पौधा उग आया. भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया कि उसका उनके शालिग्राम (Shaligram) रूप से विवाह होगा और तुलसी के बिना उनकी पूजा अधूरी रहेगी. इसीलिए कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी का शालिग्राम से विवाह कराया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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