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This Article is From Oct 22, 2017

तुलसी विवाह: 4 महीने बाद खत्म होगा भगवान विष्णु का शयनकाल, ऐसे करें पूजा

भगवान विष्णु चार महीने के बाद सो जागते हैं तो तुलसी के पौधे से उनका विवाह होता है. देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह उत्सव भी कहा जाता है.

तुलसी विवाह: 4 महीने बाद खत्म होगा भगवान विष्णु का शयनकाल, ऐसे करें पूजा
देवउठनी एकादशी के बाद सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं.
आषाढ़ महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं. देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक यानी चार महीने भगवान विष्णु शयनकाल की अवस्था में होते हैं और इस दौरान कोई शुभ कार्य जैसे, शादी, गृह प्रवेश या कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. 31 अक्टूबर को भगवान का शयनकाल खत्म होगा और इसके बाद ही कोई शुभ कार्य होगा. कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की ग्यारस के दिन देवउठनी ग्यारस होती है. इस एकादशी को प्रबोधनी ग्यारस भी कहा जाता है. ये एकादशी दिवाली के 11 दिन बाद आती है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद सो जागते हैं तो तुलसी के पौधे से उनका विवाह होता है. देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह उत्सव भी कहा जाता है.

शुभ कार्यों के लिए करना होगा इंतजार
देवउठनी एकादशी के बाद सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार देव जागने के 18 दिन बाद भी कोई वैवाहिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है. दीपावली के बाद वर्ष पूर्ण होने में बचे लगभग दो माह में इस वर्ष विवाह के केवल 14 मुहूर्त हैं.

31 अक्टूबर को देवउठनी एकादशी है, लेकिन 13 अक्टूबर से देवगुरु बृहस्पति पश्चिामास्त हैं जो कि देवउठनी एकादशी के सात दिन बाद 7 नवंबर को पूर्व दिशा में उदित होंगे और आगामी तीन दिन बाल अवस्था में रहने के बाद 10 नवंबर को बालत्व निवृत्ति होगी.

16 नवंबर को सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा. इन समस्त दोषों की निवृत्ति के पश्चात 19 नवंबर से शादियों की शुरुआत होगी और अगले साल भी यानी 2018 में 19 नवंबर से जिस दिन की देवप्रबोधनी एकादशी है.

शादियों के मुहूर्त
इस साल नवंबर में 19, 22, 23, 24, 28, 29 और 30 नवंबर को विवाह के विशिष्ट मुहूर्त हैं. दिसंबर में 3, 4, 10, 11 और 12 दिसंबर को विवाह मुहूर्त बन रहे हैं. 15 दिसंबर 2017 से 14 जनवरी 2018 तक मलमास रहेगा. मकर संक्रांति के बाद विवाह मुहूर्त शुरू होते हैं किंतु इस बार जनवरी में कोई मुहूर्त नहीं है.

22 जनवरी को बसंत पंचमी को देवलग्र होने के कारण विवाह आयोजन कर पाएंगे, लेकिन लग्र शुध्दि के शुभ मुहूर्त फरवरी में ही मिलेंगे. फरवरी में 4, 5, 7, 8, 9, 11, 18 और 19 तथा मार्च में 3 से 8 और 11 से 13 मार्च को शादियों के मुहूर्त हैं. 

तुलसी विवाह, देवउठनी ग्यारस, देव प्रबोधनी एकादशी तिथि
मान्यतानुसार कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन तुलसी जी और विष्णु जी का विवाह कराने की प्रथा है. तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम पाषाण का पूर्ण वैदिक रूप से विवाह कराया जाता है. ये त्योहार दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है और इस वर्ष तुलसी विवाह का शुभ दिन 31 अक्टूबर को है.

तुलसी विवाह की विधि
तुलसी विवाह संपन्न कराने के लिए एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए और तुलसी जी के साथ विष्णु जी की मूर्ति घर में स्थापित करनी चाहिए. तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति को पीले वस्त्रों से सजाना चाहिए. पीला विष्णु जी की प्रिय रंग है.

तुलसी विवाह के लिए तुलसी के पौधे को सजाकर उसके चारों तरफ गन्ने का मंडप बनाना चाहिए. तुलसी जी के पौधे पर चुनरी या ओढ़नी चढ़ानी चाहिए. इसके बाद जिस प्रकार एक विवाह के रिवाज होते हैं उसी तरह तुलसी विवाह की भी रस्में निभानी चाहिए.

अगर चाहें तो पंडित या ब्राह्मण की सहायता से भी विधिवत रूप से तुलसी विवाह संपन्न कराया जा सकता है अन्यथा मंत्रोच्चारण (ऊं तुलस्यै नम:) के साथ स्वयं भी तुलसी विवाह किया जा सकता है.

द्वादशी के दिन पुन: तुलसी जी और विष्णु जी की पूजा कर और व्रत का पारण करना चाहिए. भोजन के पश्चात तुलसी के स्वत: गलकर या टूटकर गिरे हुए पत्तों को खाना शुभ होता है. इस दिन गन्ना, आंवला और बेर का फल खाने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.

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