इफ्तार में सिर्फ वेज चीजें ही परोसी जाएंगी
नई दिल्ली:
धार्मिक उन्माद और नफरत के बीच कई बार आपका मन इंसानियत से उठ जाता है. लेकिन फिर हमारे ही समाज में ऐसे भी ढेरों उदाहरण हैं जो इंसानियत की मिसाल कायम करते हैं. ऐसा ही कुछ दक्षिण भारत के एक मंदिर में होने जा रहा रहा है. केरल के मल्लापुरम जिले के एक विष्णु मंदिर रमज़ान के दौरान मुस्लिमों के लिए मंदिर के अंदर इफ्तार पार्टी आयोजित करने की योजना बना रहा है.
रोज़े क्यों रखते हैं मुसलमान?
पुन्नाथला के लक्ष्मी नारायण मूर्ति मंदिर ने फैसला किया है कि दो समुदायों के बीच सद्भावना बढ़ाने के लिए इफ्तार पार्टी दी जाएगी.
मंदिर के अंदर नॉन वेज लाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में मंदिर करीब 700 रोज़ेदारों को इफ्तार में वेज बिरयानी, नाश्ता, फल, जूस और स्पेशल पेय पदार्थों को परोसेगा.
भूखों को हर रोज़ खाना खिलाता है ये शख्स
यह मंदिर के प्रतिष्ठा दिनम त्योहार का हिस्सा है. त्योहार के दूसरे दिन इफ्तार का आयोजन किया जाएगा. मंदिर कमेटी के मोहन नायर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'मुस्लिम बहुल इलाकों के गांवों में रहने वाले स्थानीय लोगों की मदद से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें जाति, धर्म और राजनीति का भेद नहीं है. कमेटी ने कार्यक्रम में सभी को बुलाया है और 700 लोगों के आने की उम्मीद है.'
वाकई, ये ख़बर सुकून देने वाली है क्योंकि इंसानित से बढ़कर इस दुनिया में न कोई धर्म है और न ही मज़हब.
रोज़े क्यों रखते हैं मुसलमान?
पुन्नाथला के लक्ष्मी नारायण मूर्ति मंदिर ने फैसला किया है कि दो समुदायों के बीच सद्भावना बढ़ाने के लिए इफ्तार पार्टी दी जाएगी.
मंदिर के अंदर नॉन वेज लाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में मंदिर करीब 700 रोज़ेदारों को इफ्तार में वेज बिरयानी, नाश्ता, फल, जूस और स्पेशल पेय पदार्थों को परोसेगा.
भूखों को हर रोज़ खाना खिलाता है ये शख्स
यह मंदिर के प्रतिष्ठा दिनम त्योहार का हिस्सा है. त्योहार के दूसरे दिन इफ्तार का आयोजन किया जाएगा. मंदिर कमेटी के मोहन नायर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'मुस्लिम बहुल इलाकों के गांवों में रहने वाले स्थानीय लोगों की मदद से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें जाति, धर्म और राजनीति का भेद नहीं है. कमेटी ने कार्यक्रम में सभी को बुलाया है और 700 लोगों के आने की उम्मीद है.'
वाकई, ये ख़बर सुकून देने वाली है क्योंकि इंसानित से बढ़कर इस दुनिया में न कोई धर्म है और न ही मज़हब.
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