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सूर्य ग्रहण को लेकर क्या कहता है धर्मशास्त्र, जानें इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता और धार्मिक नियम

Surya Grahan 2025: ज्योतिष शास्त्र में जिस सूर्य ग्रहों का राजा माना गया है, उससे जुड़े ग्रहण अशुभ मानने के पीछे क्या कारण है? सूर्यग्रहण को लेकर पौराणिक मान्यता और उससे जुड़े धार्मिक नियमों को जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

सूर्य ग्रहण को लेकर क्या कहता है धर्मशास्त्र, जानें इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता और धार्मिक नियम
सूर्य ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं और धार्मिक नियम

Solar Eclipse 2025: भारतीय पंचांग में साल 2025 में दो सूर्य ग्रहण लगने का जिक्र किया गया है. पहला खण्डग्रास सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को लग चुका है और अब अगला खण्डग्रास सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगने जा रहा है. ये दोनों ही सूर्य ग्रहण खण्डग्रास सूर्य ग्रहण हैं और दोनों ही भारत में नहीं नजर आएंगे. सनातन परंपरा में सूर्य ग्रहण को जहां एक बड़ा दोष मानते हुए राहु-केतु द्वारा उन्हें निकलने की की घटना से जोड़ा जाता है तो वहीं विदेशों कहीं इसे विशाल मेढक के द्वारा खा जाने तो तो कहीं ड्रैगन के द्वारा निगलने की घटना से जोड़कर देखा जाता है. आइए जानते है हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा, मान्यता और उससे जुड़े नियमों को विस्तार से जानते हैं. 

सूर्य ग्रहण से जुड़ी हिंदू मान्यता

सनातन परंपरा में सूर्य ग्रहण को पौराणिक काल की घटना से जोड़कर देखा जाता है. मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर जब दैत्य और देवतागण आपस में लड़ने लगे तो भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर उन्हें आधा-आधा अमृत बांटने के लिए राजी किया, लेकिन जैसे उन्होंने देवताओं को यह अमृत देना शुरु किया उसमें चुपके से स्वरभानु नाम के दैत्य ने उसे लेकर पी लिया. इसके बाद जब भगवान विष्णु को इसका पता चला तो उन्होंने अपने चक्र से उसका सिर काट दिया, लेकिन तब तक वह अमृत पी चुका था, इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसका सिर राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया. यही राहु और केतु अमावस्या और पूर्णिमा पर सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण का कारण बनते हैं. 

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सूर्य ग्रहण के दौरान क्या न करें

सनातन परंपरा में सूर्य ग्रहण की घटना को अशुभ मानते हुए इसमें कुछ काम करने की मनाही है. जैसे सूर्य के ग्रहण लगने से कुछ पूर्व पहले सूतक लगते ही शुभ कार्य जैसे पूजा आदि बंद कर दिये जाते हैं. सूर्य ग्रहण को देखना अशुभ माना गया है, इसलिए लोग इस दौरान खुले आसमान के नीचे जाने और सूर्य को देखने से बचते हैं. गर्भवती महिलाओं को इन सभी नियमों का विशेष रूप से पालन करना होता है. इसी प्रकार यदि संभव हो तो ग्रहण के दौरान यात्रा को टाल देना चाहिए. 

बीमार और बच्चों के लिए क्या है नियम

सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने, सोने और किसी भी मांगलिक कार्य की सख्त मनाही है. हालांकि इस दौरान आप अपने देवता विशेष के लिए अपने मंत्र का जाप कर सकते हैं. इसी प्रकार बीमार और बच्चों के लिए इसमें भोजन, दवा आदि के सेवन की छूट है. सूर्य ग्रहण के दौरान यदि खाने-पीने की चीज में तुलसी पत्र डाल दिया जाए तो वह अशुद्ध नहीं होता है और आप ग्रहण के दौरान अथवा समाप्ति के बाद उसे बच्चों और बुजुर्ग व्यक्तियों को खाने के लिए दे सकते हैं.  

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इन कार्यों से दूर होता है ग्रहण का दोष 

शास्त्रों में ग्रहण के बाद किसी पवित्र सरोवर, नदी अथवा पवित्र जल से स्नान करने का विधान है. इसी प्रकार सूर्य ग्रहण के बाद स्नान की तरह दान का भी बहुत महत्व माना गया है. सूर्य ग्रहण के दान में आप धन, अन्न और वस्त्र का दान करके पुण्यफल प्राप्त कर सकते हैं. सूर्य ग्रहण के बाद अपने देव स्थान की सफाई करें तथा देवताओं को गंगाजल से स्नान कराकर या फिर छिड़क कर दोबारा पूजा शुरु करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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