फाइल फोटो
उज्जैन:
देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छता अभियान को मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ के दौरान विभिन्न धर्म गुरुओं का भी समर्थन मिला है। मंगलवार को 'सद्भावना संकल्प' कार्यक्रम के मंच पर आए तमाम धर्म गुरुओं ने एक सुर से शौचालय बनवाने पर बल देते हुए 'स्वच्छता क्रांति' लाने का आह्वान किया।
विभिन्न धर्मो के गुरुओं ने 'सद्भावना संकल्प' के जरिए 'स्वच्छता क्रांति' लाने का आह्वान किया और देश के नागरिकों से अपील की कि वे इस कार्य में जुट जाएं, ताकि भारत की स्वच्छता वैश्विक उदाहरण बन सके। उन्होंने पर्यावरण अनुकूल शौचालय के उपयोग पर बल दिया, ताकि हमारी भूमि और नदियों को खुले में शौच से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति दिलाई जा सके।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हम जैसा स्वप्न देखते हैं, दुनिया वैसी ही होती है और अब नए स्वप्न देखने का समय आ गया है, क्योंकि भारत में साफ पेयजल, स्वच्छता और सफाई के अभाव में प्रतिदिन 1,200 बच्चों की मौत होती है। हम इस स्थिति को बदल सकते हैं।
ग्लोबल इंटरफेथ वाश अलायंस (जीवा) द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में पांच धर्मो के प्रतिनिधि एक मंच पर थे। इस मौके पर जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा कि पानी सभी के जीवन की बुनियादी आवश्यकता है, लेकिन अभी धरती पर केवल 0.75 प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। इसलिए जल का संरक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
ऑल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष इमाम उमर इलियासी ने वादा किया कि वे समाज में स्वास्थ्य, स्वच्छता और सफाई के इस महत्वपूर्ण संदेश के प्रचार-प्रसार के लिए देशभर के इमामों को एकजुट करेंगे। उन्होंने शिक्षित और स्वस्थ भारत बनाने तथा खुले में शौच से मुक्ति के लिए सभी धर्मों को एक साथ आने पर जोर दिया।
शिया प्रमुख मौलाना डॉ. सईद कल्बे सादिक ने कहा कि आज से हम इस स्वप्न को पूरा करने में जुट जाएं। देश को स्वच्छ बनाने का संकल्प हमारे दिल में होना चाहिए और हमारे कार्य इस संकल्प को हकीकत में बदलने वाले होने चाहिए।
जैन समाज के प्रतिनिधि आचार्य लोकेश मुनि ने आहवान किया कि अहिंसा और स्वच्छता साथ-साथ दिखाई देना चाहिए। हमारी अस्वच्छता प्रतिदिन अनेक मासूमों की मृत्यु का कारण बनती है। यह पीड़ा अब खत्म होनी चाहिए। यह बदलाव लाना अब हम सभी की जिम्मेदारी है।
जीवा महासचिव भगवती सरस्वती ने बताया कि जीवा की स्थापना इस सिद्धांत पर की गई कि एक धर्म गुरु होने के नाते हम सभी अपनी शांति की परिभाषा में यह भी शामिल करें कि सभी धर्मों के लोगों को साफ पेयजल, स्वच्छ वातावरण उपलब्ध हो।
यूनिसेफ भारत की वाश प्रभाग प्रमुख सू कोट्स ने कहा कि असुरक्षित पेयजल, अस्वच्छता और सफाई का अभाव डायरिया और निमोनिया जैसी बच्चों की बीमारियों के कारण हैं। ये बीमारियां पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
यूनिसेफ भारत संचार प्रमुख केरोलीन डेन डल्कन ने कहा कि बाल जीवन बचाने के संकल्प में देश के प्रमुख धर्म गुरुओं के शामिल होने से देश में आज से एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि उन्होंने पांच महाद्वीपों में मंदिर बनवाने में सहयोग किया है, लेकिन अब वे इस बात पर बल दे रहे हैं कि आइये, पहले हम शौचालय बनाएं। शौचालय के बिना मानव मल के कारण फैली बीमारियों से सशक्त इंसान भी बीमार और कमजोर हो जाता है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
विभिन्न धर्मो के गुरुओं ने 'सद्भावना संकल्प' के जरिए 'स्वच्छता क्रांति' लाने का आह्वान किया और देश के नागरिकों से अपील की कि वे इस कार्य में जुट जाएं, ताकि भारत की स्वच्छता वैश्विक उदाहरण बन सके। उन्होंने पर्यावरण अनुकूल शौचालय के उपयोग पर बल दिया, ताकि हमारी भूमि और नदियों को खुले में शौच से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति दिलाई जा सके।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हम जैसा स्वप्न देखते हैं, दुनिया वैसी ही होती है और अब नए स्वप्न देखने का समय आ गया है, क्योंकि भारत में साफ पेयजल, स्वच्छता और सफाई के अभाव में प्रतिदिन 1,200 बच्चों की मौत होती है। हम इस स्थिति को बदल सकते हैं।
ग्लोबल इंटरफेथ वाश अलायंस (जीवा) द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में पांच धर्मो के प्रतिनिधि एक मंच पर थे। इस मौके पर जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा कि पानी सभी के जीवन की बुनियादी आवश्यकता है, लेकिन अभी धरती पर केवल 0.75 प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। इसलिए जल का संरक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
ऑल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष इमाम उमर इलियासी ने वादा किया कि वे समाज में स्वास्थ्य, स्वच्छता और सफाई के इस महत्वपूर्ण संदेश के प्रचार-प्रसार के लिए देशभर के इमामों को एकजुट करेंगे। उन्होंने शिक्षित और स्वस्थ भारत बनाने तथा खुले में शौच से मुक्ति के लिए सभी धर्मों को एक साथ आने पर जोर दिया।
शिया प्रमुख मौलाना डॉ. सईद कल्बे सादिक ने कहा कि आज से हम इस स्वप्न को पूरा करने में जुट जाएं। देश को स्वच्छ बनाने का संकल्प हमारे दिल में होना चाहिए और हमारे कार्य इस संकल्प को हकीकत में बदलने वाले होने चाहिए।
जैन समाज के प्रतिनिधि आचार्य लोकेश मुनि ने आहवान किया कि अहिंसा और स्वच्छता साथ-साथ दिखाई देना चाहिए। हमारी अस्वच्छता प्रतिदिन अनेक मासूमों की मृत्यु का कारण बनती है। यह पीड़ा अब खत्म होनी चाहिए। यह बदलाव लाना अब हम सभी की जिम्मेदारी है।
जीवा महासचिव भगवती सरस्वती ने बताया कि जीवा की स्थापना इस सिद्धांत पर की गई कि एक धर्म गुरु होने के नाते हम सभी अपनी शांति की परिभाषा में यह भी शामिल करें कि सभी धर्मों के लोगों को साफ पेयजल, स्वच्छ वातावरण उपलब्ध हो।
यूनिसेफ भारत की वाश प्रभाग प्रमुख सू कोट्स ने कहा कि असुरक्षित पेयजल, अस्वच्छता और सफाई का अभाव डायरिया और निमोनिया जैसी बच्चों की बीमारियों के कारण हैं। ये बीमारियां पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
यूनिसेफ भारत संचार प्रमुख केरोलीन डेन डल्कन ने कहा कि बाल जीवन बचाने के संकल्प में देश के प्रमुख धर्म गुरुओं के शामिल होने से देश में आज से एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि उन्होंने पांच महाद्वीपों में मंदिर बनवाने में सहयोग किया है, लेकिन अब वे इस बात पर बल दे रहे हैं कि आइये, पहले हम शौचालय बनाएं। शौचालय के बिना मानव मल के कारण फैली बीमारियों से सशक्त इंसान भी बीमार और कमजोर हो जाता है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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