सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक को मिली संसद की मंजूरी

सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक को मिली संसद की मंजूरी

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक 2016 को संसद की मंजूरी मिल गई। लोकसभा ने सर्वसम्मति से इसे स्वीकार कर लिया लेकिन इससे पहले शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई।
 
इस विधेयक को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गत 15 मार्च को राज्यसभा में पेश किया था। उसके अगले ही दिन इस विधेयक को उच्च सदन ने पारित कर दिया था।
 
इस विधेयक में संशोधन के अनुसार, 21 साल की उम्र से अधिक का प्रत्येक सिख और जो मतदाता के रूप में पंजीकृत है, उसे सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी(एसजीपीसी) और विभिन्न गुरुद्वारा प्रबंधन समितियों के चुनाव में वोट डालने का अधिकार है।
 
हालांकि, कोई भी व्यक्ति जो बाल या दाढ़ी कटवाता है उसे इन चुनावों में मत देने का अधिकार नहीं होगा।
 
इस तरह यह विधेयक सिख गुरुद्वारा कानून, 1925 में सुधार करेगा जिससे पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के गुरुद्वारा संचालित होते हैं।
 
सिख गुरुद्वारा कानून, 1925 में सहजधारी सिखों को जो बाल छोटे कराते हैं या दाढ़ी बनवाते हैं उन्हें वोट डालने की विशेष रूप से अनुमति है। इस विधेयक के जरिए उस छूट को समाप्त कर दिया गया है। अब बाल-दाढ़ी कटवाने वाले सहजधारी सिखों को भी वोट देने से वंचित कर दिया जाएगा।
 
लोकसभा में बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के नेतृत्व में अकाली दल के सदस्यों और कांग्रेस व आप के सदस्यों के बीच बार-बार तीखी नोक-झोंक होते देखा गया।
 
कौर ने कहा कि यह विधेयक सिखों के बारे में है। मैं यह नहीं समझ पा रही कि गैर सिखों को क्यों इसमें भाग लेकर यह निर्णय देना चाहिए कि कौन सिख है और कौन नहीं है।
 
वहीं कांग्रेस के नेताओं का कहना था कि अकाली नेतृत्व पंजाब में एसजीपीसी पर एकाधिकार के रूप में नियंत्रण रखता है, जिसे सिखों के लघु संसद के रूप में जाना जाता है।
 
आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत सिंह मान ने भी इसका समर्थन किया। उन्होंने मंत्री कौर से इस मुद्दे पर बहस भी की।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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