Shattila Ekadashi: षटतिला एकादशी के दिन इस कथा को सुनना माना जाता है शुभ, जानिए इसका महत्व

षटतिला एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु को तिल का भोग लगाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा उपासना की जाती है.

Shattila Ekadashi: षटतिला एकादशी के दिन इस कथा को सुनना माना जाता है शुभ, जानिए इसका महत्व

Shattila Ekadashi: षटतिला एकादशी की इस कथा को सुने बिना अधूरा माना जाता है व्रत

नई दिल्ली:

हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि (Ekadashi 2022) के दिन भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu के निमित्त व्रत रखा जाता है. इस प्रकार माघ माह (Magh Month) में कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi) यानी षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) 28 जनवरी को है. षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को तिल का भोग लगाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन तिल का दान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. कहते हैं जो जितना तिल दान करता है, उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग में स्थान पाता है. आइए जानते हैं

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षटतिला एकादशी की पौराणिक कथा | Shattila Ekadashi Vrat Katha

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान श्री हरि विष्णु जी से मिलने नारद मुनि पहुंचे और उन्होंने श्री हरि से षटतिला एकादशी व्रत के महत्व के बारे में जानना चाहा. भगवान विष्णु ने बताया कि प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक ब्राह्मण की पत्नी रहती थी. उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी. वह मेरी अन्नय भक्त थी और श्रद्धा-भाव से मेरी पूजा करती थी. एक बार उसने पूरा एक महीना व्रत रखा. उपवास के प्रभाव से तन-मन तो शुद्ध हो गया, लेकिन उसने कभी भी ब्राह्मण या फिर देवताओं के निमित्त अन्न दान नहीं किया, इसलिए मैंने सोचा कि यह स्त्री बैकुण्ठ में रहकर भी अतृप्त रहेगी.

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एक दिन मैं स्वयं उसके पास भिक्षा मांगने पहुंच गया. मैंने उससे भिक्षा मांगी तो उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर मेरे हाथों पर रख दिया. मैं वह पिण्ड लेकर अपने धाम वापस लौट आया. कुछ समय बाद वह देह त्याग कर मेरे लोक में आ गई. यहां उसे एक कुटिया और आम का पेड़ मिला. खाली कुटिया देख वह घबरा गई और तुरंत मेरे पास आई. बोली कि मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब मैंने उसे बताया कि यह अन्नदान नहीं करने और मुझे मिट्टी का पिण्ड देने के कारण हुआ है. मैंने उसे बताया कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं, तब आप अपना द्वार तभी खोलना जब तक वे आपको षटतिला एकादशी के व्रत का विधान न बताएं. भगवान विष्णु की बात मानकर स्त्री ने वैसा ही किया. इसके पश्चात देवकन्या के द्वारा बताई गई विधि से षटतिला एकादशी का व्रत किया. व्रत के प्रभाव से उसकी कुटिया अन्न धन से भर गई, इसलिए जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है और इस दिन तिल, अन्न का दान करता है, उसे मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है.

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षट्तिला एकादशी का महत्व | Shattila Ekadashi Significance

धार्मिक दृष्टि से षट्तिला एकादशी को बेहद खास माना जाता है. मान्यता है कि षट्तिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा व व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और देह त्यागने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि जप-तप, दान से जितना फल मिलता है, उतना ही पुण्य यह व्रत करने से भी मिलता है. माना जाता है कि इस दिन स्नान-दान व जरूरतमंदों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)