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Durga Aarti Rules: नवरात्रि में देवी दुर्गा की कैसे करते हैं आरती? जानें सही विधि और जरूरी नियम 

Navratri Durga Aarti Vidhi: नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा में मंत्र-जप आदि की तरह आरती का भी बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. नवरात्रि में देवी पूजा का अभिन्न अंग मानी जाने वाली इस आरती को नवरात्रि के 9 दिनों में करते समय आपको किन बातों का हमेशा ख्याल रखना चाहिए, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Durga Aarti Rules: नवरात्रि में देवी दुर्गा की कैसे करते हैं आरती? जानें सही विधि और जरूरी नियम 
Navratri Durga Aarti Vidhi: नवरात्रि में देवी दुर्गा आरती करने की पूरी विधि

Maa Durga ki aarti kaise kare: हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा तब तक नहीं पूरी होती जब तक उसे अंत में आरती न की जाए. आरती प्रत्येक पूजा का अभिन्न अंग रही है. मान्यता है कि जिस घर में आरती के दौरान बजने वाले घंटा-घड़ियाल और शंख की ध्वनि गूंजती हैं, वहां पर हर समय सकारात्मक उर्जा बनी रहती है और वहां सुख-सौभाग्य बना रहता है. ऐसे में यदि आप नवरात्रि के 9 दिनों में देवी पूजा के दौरान माता की आरती करते हैं तो आपको दुर्गा आरती से जुड़े जरूरी नियम पता होने चाहिए. 

मां दुर्गा की आरती कैसे करें | How to do Durga aarti

  • हिंदू मान्यता के अनुसार देवी की आरती को हमेशा खड़े होकर करना चाहिए. 
  • आरती करने से पहले आरती की प्लेट पर दीपक, पुष्प, अक्षत, कपूर, धूप, बाती आदि रख लेना चाहिए. 
  • देवी दुर्गा को यदि संभव हो तो 5 बाती वाली आरती करें अन्यथा आप एक बाती का दीया बनाकर भी आरती कर सकते हैं. 
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  • शक्ति की साधना में की जाने वाली पूजा के अंत में लाल बाती का दीया जलाना अत्यंत ही शुभ माना गया है. ऐसे में माता के लिए दीया जला रहे हों या फिर आरती का पंचदीप उसके लिए लाल रंग की बाती का प्रयोग करें. 
  • देवी दुर्गा की पूजा के अंत में जब आरती का दीया जलाएं तो सबसे पहले उस पर से जल उतार लें उसके बार आरती करना शुरु करें. 
  • देवी की आरती करते समय दीपक को चार बार माता के चरणों में दो बार नाभि के सामने और एक बार मुख के सामने और अंत में पूरे शरीर के सामने सात बार आरती करें. 
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आरती पूरा होने के बाद इस मंत्र का पाठ करें - 

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि.

  • देवी की आरती करने के बाद एक बार फिर उस पर पवित्र जल से उतार लें. इसके बाद माता को पुष्प अक्षत आदि चढ़ाकर प्रणाम करें-
  • आरती पूरा होने के बाद दोनों हाथों से लेकर अपने माथे पर लगाएं ओर देवी का ध्यान करें और भूल-चूक के लिए माफी और अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए आशीर्वाद मांगें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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