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सावन के तीसरे सोमवार पर पूजा और व्रत से कौन सी पूरी होगी मनोकामना, जानें सिर्फ एक क्लिक में

Sawan Somwar 2025: देवों के देव महादेव को समर्पित सावन महीने में पड़ने वाला हर सोमवार शिवकृपा बरसाने वाला माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार पवित्र श्रावण मास के तीसरे सोमवार पर शिव की पूजा, जप-तप और व्रत आदि करने का क्या मिलता है फल, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

सावन के तीसरे सोमवार पर पूजा और व्रत से कौन सी पूरी होगी मनोकामना, जानें सिर्फ एक क्लिक में
सावन के सोमवार के दिन पूजा, जप-तप और व्रत का पुण्य फल

Sawan Third Somwar Vrat 2025: सनातन परंपरा में भगवान शिव (Lord Shiva) जिन्हें उनके भक्त गंगाधर, औघड़दानी, और भोलेनाथ कहकर बुलाते हैं, ऐसे देवों के देव महादेव (Mahadev) की पूजा के लिए श्रावण मास और उसमें पड़ने वाला सोमवार अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है. मान्यता है कि श्रावण मास (Shrawan 2025) के सोमवार के दिन विधि-विधान से पूजा, जप-तप और व्रत करने से व्यक्ति पर महादेव अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हुए उस पर हर समय कृपा बरसाते हैं. श्रावण मास के तीसरे सोमवार (Sawan Somwar 2025) पर करने पर आखिर क्या फल प्राप्त होता है? श्रावण सोमवार पर किस मंत्र से महादेव को मनाया जाए? आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

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सावन के तीसरे सोमवार व्रत का फल

हिंदू (Hindu) मान्यता के अनुसार जिस सोमवार का व्रत अमूमन महिलाएं अक्सर महिलाएं अपने सुख, सौभाग्य और संतान की खुशहाली के लिए करती हैं, यदि उस व्रत को कोई व्यक्ति पवित्र श्रावण मास के तीसरे सोमवार पर विधि-विधान से रखता है और भगवान शिव को जल, पुष्प, पत्र, बेल, धतूरा आदि अर्पित करके उनके मंत्र का जाप करता है तो उसे तमाम तरह के पुण्य लाभ प्राप्त होते हैं. 

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मान्यता है कि सावन के तीसरे सोमवार की शिव पूजा (Shiva Puja) से साधक के परिवार में प्रेम, सामंजस्य और एकता बनी रहती है और वह सुखी और निरोगी और तेजवान बना रहता है. सावन के तीसरे सोमवार की पूजा के शुभ फल से विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसे में आज जीवन से जुड़े सभी रोग-शोक को दूर करने के लिए भगवान शिव की पूजा में उनकी प्रिय चीजों चढ़ा कर विधि-विधान से साधना-आराधना करें.

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सावन के तीसरे सोमवार पर जरूर जपें ये मंत्र

यदि आप चाहते हैं कि भगवान शिव की पूजा का आपको पूर्ण फल प्राप्त हो और आप पर हमेशा शिव बनी रहे तो आप शिव के पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जप करने के साथ उनके द्वादश ज्योतिर्लिंग के मंत्र (Mantra) का आज विशेष रूप से जप करें. महादेव के इन मंत्रों का जाप हमेशा रुद्राक्ष की माला से जपें. 

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्.
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्.
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे.
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः.
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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