 
                                            Shivratri 2023: बीती 4 जुलाई से इस साल सावन के महीने की शुरूआत हुई है और सावन अधिकमास के चलते इस बार एक नहीं बल्कि 2 महीनों का होने वाला है. सावन माह की शिवरात्रि आज 15 जुलाई के दिन मनाई जा रही है. सावन के महीने को श्रवण या श्रावण मास भी कहते हैं. हिंदु धर्म में इसे पवित्र महीनों की गिनती में रखा जाता है और इस महीने के व्रत त्योहार खासकर शिवरात्रि (Masik Shivratri) की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इस दिन कांवड़ यात्रा का समापन होता है और कांवड़िए गंगाजल से शिवलिंग का जलाभिषेक (Jalabhishesk) करते हैं. जानिए शिवरात्रि की पूजा का मुहुर्त, विधि और किस समय किया जा सकता है जलाभिषेक.
सावन शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त | Sawan Shivratri Puja Shubh Muhurt
आज सावन के महीने की पहली मासिक शिवरात्रि है. पंचांग के अनुसार, यह शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है पूजा का शुभ मुहूर्त 15 जुलाई की सुबह 7 बजकर 21 मिनट से 16 जुलाई सुबह 9 बजे के बीच है. शाम की पूजा 7 बजकर 20 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक की जा सकती है और निशिता काल मुहूर्त के अनुसार 15 जुलाई मध्यात्रि यानी 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक पूजा और जलाभिषेक किया जा सकता है.
माना जाता है कि शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है. सावन में कांवड़ यात्रा का समापन इस दिन को और विशेष बनाता है. शिवरात्रि के दिन महादेव (Lord Shiva) के साथ-साथ मां गौरी की पूजा-आराधना भी की जाती है. वैवाहिक जीवन में सुख पाने के लिए माता पर सुहाग की सामग्री अर्पित करने की परंपरा है. माना जाता है कि जो भक्त पूरे मन से शिवरात्रि का व्रत और पूजा करते हैं उनपर महादेव की कृपादृष्टि पड़ती है और हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. 
पुराणों के अनुसार इस दिन जलाभिषेक करने से समुंद्र मंथन की कथा जुड़ी है. कहते हैं समुद्र मंथन में सावन हुआ था. भगवान शिव ने इसी दौरान मंथन से निकले विष का पान किया था जिससे वे असहज हो गए थे और इस कष्ट से निकालने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भोलेनाथ पर जल अर्पित किया था. इस का असर कम हुआ और तभी से सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) पर विशेषकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है.
पूजा करने के लिए भक्त सुबह उठकर स्नान पश्चात व्रत (Shivratri Vrat) का संकल्प लेते हैं. स्वच्छ वस्त्र धारण कर भक्त शिव मंदिर जाते हैं. मंदिर में भोलेनाथ के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया जाता है. रात के समय खासतौर से शिव पूजा होती है. मासिक शिवरात्रि की पूजा सामग्री में शुद्ध देशी घी, गंध, रंगोली, मौली, दूध, दही, जल, गंगाजल, जौ की बालें, पुष्प, पूजा के बर्तन, पंच मिष्ठान, गुलाल, बेर, भांग, चंदन, पंच फल, चंदन, श्रृंगार सामग्री, धूप, दीप और आम मंजरी शामिल किए जाते हैं. इसके बाद शिव आरती और माता पार्वती की आरती करने के बाद पूजा संपन्न होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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