Sarva Pitru Amavasya: सनातन धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व है, लेकिन अगर किसी को अपने पितरों की पुण्य तिथि याद न हो तो इस स्थिति में सर्व पितृ श्राद्ध अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है. सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) को पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के विसर्जन का दिन माना जाता है. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष धार्मिक महत्व माना गया है. यदि आपको पितरों की तिथि याद नहीं, तो इस दिन आप अपने पितरों की श्राद्ध और उनके निमित्त अन्य कार्य कर सकते हैं. यदि आपके घर में पितृ दोष लगा हुआ है, तो भी पितृ अमावस्या का दिन आपके लिए काफी सार्थक सिद्ध हो सकता है. इस दिन पितृ दोष को दूर करने के लिए तमाम उपाय किए जा सकते हैं. मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध किये जाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है और उनके प्रति श्रद्धा और आदर व्यक्त किया जाता है.
Sarva Pitru Amavasya 2021: सर्व पितृ श्राद्ध अमावस्या का महत्व और इसकी खास बातें जानें
इस दिन से आरंभ होगी अमावस्या तिथि (Sarva Pitru Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, अमावस्या की तिथि 5 अक्टूबर 2021 दिन, मंगलवार शाम 07 बजकर 04 मिनट से आरंभ हो जाएगी. अमावस्या की तिथि का समापन 6 अक्टूबर 2021 का दोपहर 04 बजकर 34 मिनट पर होगा.
सर्व पितृ श्राद्ध अमावस्या का महत्व (Importance Of Sarva Pitru Shradh Amavasya)
बता दें कि सनातन धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन अगर किसी को अपने पितरों की पुण्य तिथि याद न हो तो इस स्थिति में सर्व पितृ श्राद्ध अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध किए जाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
Sarva Pitru Amavasya 2021: सर्व पितृ अमावस्या पर 11 साल बाद बन रहा ये खास योग, जानिए महत्व
11 साल बाद बन रहा है गजछाया योग (Gajachhaya Yog)
पितृ पक्ष 2021 की सर्वपितृ अमावस्या पर गजछाया योग बन रहा है. इससे पहले ये योग 11 साल पहले 2010 में बना था. 6 अक्टूबर को सूर्य और चंद्रमा दोनों ही सूर्योदय से लेकर शाम 04:34 बजे तक हस्त नक्षत्र में होंगे. यह स्थिति गजछाया योग (Gajachhaya Yog) बनाती है. धर्म-शास्त्रों के मुताबिक, इस योग में श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है. साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है. कहते हैं कि गजछाया योग में किए गए श्राद्ध और दान से पितरों की अगले 12 सालों के लिए क्षुधा शांत हो जाती है.
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