हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का विशेष महत्व है. इस दिन गौरी गणेश का विधि-विधान से पूजन होता है. कहा जाता है कि अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर गणपति महाराज उनकी सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं. संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है. इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना की जाती है. इस दिन भगवान श्री गणेश के 108 नामों का स्मरण किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणपति बप्पा की पूजा करता है, उसके सभी दुःख और क्लेश दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती है. आइये जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि.
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
भगवान श्री गणेश को ज्ञान और सौभाग्य के देवता के रूप में घर-घर में पूजा जाता है. कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. पूर्णिमा के बाद आने वाली इस चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली चतुर्थी 23 नवंबर (मंगलवार) यानि आज पड़ रही है. आज के दिन ब्रह्म बेला में उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए. इसके बाद सर्वप्रथम आमचन कर भगवान गौरी गणेश के निम्मित व्रत संकल्प लेते हुए भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य देना चाहिए. अब गणपति महाराज की षोडशोपचार पूजा फल-फूल, धूप-दीप, दूर्वा, चंदन, तंदुल आदि से करें. भगवान श्री गणेश को पीला पुष्प व मोदक दोनों ही अति प्रिय है. ऐसे में पूजा के दौरान पीले फूल व मोदक चढ़ाना न भूलें. चांद निकलने से पहले गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाता है. आखिर में आरती और प्रदक्षिणा कर उनसे सुख, समृद्धि व शांति की कामना करना चाहिए. चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ें. चंद्रमा का दिखना बहुत ही शुभ होता है, इसलिए जब चंद्रमा दिखाई दे तो अर्घ्य दें. इस पूरे दिन उपवास रख रहे श्रद्धालु शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार कर सकते हैं.
पूजा करते समय इन मंत्रों का करें जाप (Read These Mantras While Worshiping)
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
इन बातों का रखें ध्यान (Keep These Things In Mind)
भगवान श्री गणेश की पूजा के बाद आप फल, मूंगफली, खीर, दूध व साबूदाने को छोड़कर कुछ भी न खाएं.
बहुत से लोग व्रत वाले दिन सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आप सेंधा नमक नजरअंदाज करने की कोशिश करें.
शाम के समय चांद के निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें.
पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें.
रात को चांद देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है.
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