बिश्नोई समाज में आखिर क्यों होती है काले हिरण की पूजा?
नई दिल्ली:
काले हिरण (Blackbuck) एक बार फिर चर्चा में हैं. दअरसल, दो काले हिरणों के शिकार के 20 साल पुराने मामले में बॉलीवुड के दबंग सुपरस्टार सलमान खान को पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है.काला हिरण विलुप्तप्राय प्रजाति का जीव है और इसे शिकार पर पूरी तरह पाबंदी है. वहीं काले हिरण का धार्मिक महत्व भी है. खासकर राजस्थान के बिश्नोई समाज के लिए तो यह पूज्यनीय है. ये वही बिश्नोई समाज है जिसने सलमान खान को सजा दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वहीं ओडिशा के गंजम के लोग काले हिरण को इतना शुभ मानते हैं कि उसे अपनी फसलों को खाने से तक नहीं रोकते. काले हिरण को कृष्णमृग नाम से भी जाना जाता है.
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कौन हैं काले हिरण?
काले हिरण को अंग्रेजी में एंटीलोप सेरवीकप्रा और भारत में कृष्णमृग नाम से जाना जाता है. नर हिरण की पहचान है काले रंग के 30 से 70 सेंटीमीटर तक घुमावदार लंबे सींग, वहीं मादा हिरण के सींग ना के बराबर होते हैं. यह शाकाहारी होते हैं और इनकी उम्र लगभग 10 से 15 साल होती है. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने कृष्णमृग को लुप्त होने वाले जानवरों की श्रेणी में रखा है.
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बिश्नोई समाज
बिश्नोई समाज का नाम भगवान विष्णु के नाम पर पड़ा. यहां के लोग पर्यावरण की पूजा करते हैं. इस समाज के ज्यादातर लोग जंगल और राजस्थान के रेगिस्तान के पास रहते हैं. ये लोग हिंदू गुरू श्री जम्भेश्वर भगवान को मानते हैं. वे बीकानेर से थे. जम्भेश्वर भगवान को प्रकृति बहुत प्रिय थी. वे हमेशा पेड़ पौधों और जानवरों की रक्षा करने का संदेश देते थे. इन्होंने ही 1485 में बिश्नोई हिन्दू धर्म की स्थापना की. बिश्नोई शब्द की उत्पति वैष्णवी शब्द से हुई है जिसका अर्थ है विष्णु के अनुयायी. इसके अलावा गुरू जम्भेश्वर द्वारा बनाए गए 29 नियम का पालन करने पर इस समाज के लोग 20+9 = 29 (बीस+नौ) बिश्नोई कहलाए. यह समाज पेड़-पौधों और जानवरों को अपने परिवार की तरह मानते हैं और उनकी रक्षा करते हैं. इस समाज की महिलाएं बच्चों की तरह हिरण को अपना दूध भी पिलाती हैं. वन और वन्य जीवों से जुड़े कई वन संरक्षण आंदोलनों में बिश्नोई समाज ने अपने प्राण गवाएं.
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गंजम से काले हिरण का नाता
उड़ीसा के गंजम इलाके के लोग भी काले हिरण को बहुत शुभ मानते हैं. मान्यता है कि यह इलाका एक समय सूखा पड़ने से बहुत परेशान था, खाने-पीने का कोई स्रोत नहीं था. तभी वहां दो काले हिरण को देखा गया, जिसके बाद सूखे की समस्या लौट कर वापस नहीं आई. यही वजह है कि वे इनके संरक्षण को लेकर काफी जागरुक हैं. इतना ही नहीं गांववाले इन्हें कभी फसल खाने से नहीं रोकते. उनका कहना है कि खेत की फसलों पर काले हिरण का भी हक है क्योंकि वे उनके लिए शुभ हैं.
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सलमान खान का काला हिरण केस
साल 1998 में बिश्नोई समाज ने ही सलमान के खिलाफ राजस्थान कोर्ट में काले हिरण के शिकार का मामला दर्ज किया था. इस केस में सलमान खान को 5 साल की सजा सुनाई गई और जुर्माना लगा. सलमान खान ने यह शिकार "फिल्म हम साथ-साथ हैं" के दौरान किया था. शिकार के समय उनके साथ सैफ अली खान, नीलम, तब्बू और सोनाली बेंद्रे मौजूद थे. सलमान खान को छोड़कर इस केस से सभी को बरी कर दिया गया. हम साथ-साथ हैं फिल्म 1999 में रिलीज हुई थी, और आज 20 साल बाद भी यह काला हिरण केस जारी है. आपको बता दें 1972 के वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की पहली अनुसूची के अनुसार भारत में कृष्णमृग (काले हिरण) का शिकार करना बैन है.
देखें वीडियो - मिले असली सलमान खान से
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कौन हैं काले हिरण?
काले हिरण को अंग्रेजी में एंटीलोप सेरवीकप्रा और भारत में कृष्णमृग नाम से जाना जाता है. नर हिरण की पहचान है काले रंग के 30 से 70 सेंटीमीटर तक घुमावदार लंबे सींग, वहीं मादा हिरण के सींग ना के बराबर होते हैं. यह शाकाहारी होते हैं और इनकी उम्र लगभग 10 से 15 साल होती है. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने कृष्णमृग को लुप्त होने वाले जानवरों की श्रेणी में रखा है.
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बिश्नोई समाज
बिश्नोई समाज का नाम भगवान विष्णु के नाम पर पड़ा. यहां के लोग पर्यावरण की पूजा करते हैं. इस समाज के ज्यादातर लोग जंगल और राजस्थान के रेगिस्तान के पास रहते हैं. ये लोग हिंदू गुरू श्री जम्भेश्वर भगवान को मानते हैं. वे बीकानेर से थे. जम्भेश्वर भगवान को प्रकृति बहुत प्रिय थी. वे हमेशा पेड़ पौधों और जानवरों की रक्षा करने का संदेश देते थे. इन्होंने ही 1485 में बिश्नोई हिन्दू धर्म की स्थापना की. बिश्नोई शब्द की उत्पति वैष्णवी शब्द से हुई है जिसका अर्थ है विष्णु के अनुयायी. इसके अलावा गुरू जम्भेश्वर द्वारा बनाए गए 29 नियम का पालन करने पर इस समाज के लोग 20+9 = 29 (बीस+नौ) बिश्नोई कहलाए. यह समाज पेड़-पौधों और जानवरों को अपने परिवार की तरह मानते हैं और उनकी रक्षा करते हैं. इस समाज की महिलाएं बच्चों की तरह हिरण को अपना दूध भी पिलाती हैं. वन और वन्य जीवों से जुड़े कई वन संरक्षण आंदोलनों में बिश्नोई समाज ने अपने प्राण गवाएं.
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गंजम से काले हिरण का नाता
उड़ीसा के गंजम इलाके के लोग भी काले हिरण को बहुत शुभ मानते हैं. मान्यता है कि यह इलाका एक समय सूखा पड़ने से बहुत परेशान था, खाने-पीने का कोई स्रोत नहीं था. तभी वहां दो काले हिरण को देखा गया, जिसके बाद सूखे की समस्या लौट कर वापस नहीं आई. यही वजह है कि वे इनके संरक्षण को लेकर काफी जागरुक हैं. इतना ही नहीं गांववाले इन्हें कभी फसल खाने से नहीं रोकते. उनका कहना है कि खेत की फसलों पर काले हिरण का भी हक है क्योंकि वे उनके लिए शुभ हैं.
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सलमान खान का काला हिरण केस
साल 1998 में बिश्नोई समाज ने ही सलमान के खिलाफ राजस्थान कोर्ट में काले हिरण के शिकार का मामला दर्ज किया था. इस केस में सलमान खान को 5 साल की सजा सुनाई गई और जुर्माना लगा. सलमान खान ने यह शिकार "फिल्म हम साथ-साथ हैं" के दौरान किया था. शिकार के समय उनके साथ सैफ अली खान, नीलम, तब्बू और सोनाली बेंद्रे मौजूद थे. सलमान खान को छोड़कर इस केस से सभी को बरी कर दिया गया. हम साथ-साथ हैं फिल्म 1999 में रिलीज हुई थी, और आज 20 साल बाद भी यह काला हिरण केस जारी है. आपको बता दें 1972 के वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की पहली अनुसूची के अनुसार भारत में कृष्णमृग (काले हिरण) का शिकार करना बैन है.
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